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Homeउत्तर प्रदेशअपनी ही बेटी पाने के लिए मां को कराना पड़ा डीएनए

अपनी ही बेटी पाने के लिए मां को कराना पड़ा डीएनए

-असिस्टेंट लीगल डिफेंस काउंसिल कर रहा न्याय दिलाने का प्रयास

तहलका जज्बा / शिवांगी चौधरी
मथुरा। जीआरपी पुलिस की लापरवाही का खामियाजा मां बेटी को भुगतना पड़ रहा है। अगर मामले की सही जांच की गई तो मासूम बेटी शिशु सदन में रहने को मजबूर न होती और मां उसके अपहरण के आरोप में 15 महीने से जेल में बंद नहीं होती। मां बेटी का डीएनए मैच होने के बाद अब असिस्टेंट लीगल डिफेंस काउंसिल मासूम को उसकी मां से मिलाने के प्रयास में जुट गया है।

जानिए क्या है पूरा मामला
मथुरा जंक्शन से 7 जनवरी की रात मां के पास सो रही बेटी किसी ने चुरा ली। राजकीय रेलवे पुलिस ने तलाश की लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। नौ महीने बाद जीआरपी पुलिस ने पांच भिखारियों को पकड़ा, जिनके पास एक बच्ची भी थी। पुलिस ने सात जनवरी को चोरी हुई बच्ची की मां को बुलाया और भिखारियों के पास मौजूद बच्ची को दिखाया। जिसके बाद चोरी हुई बच्ची की मां फूलवती ने उसे अपनी बेटी बताया। इसके बाद पुलिस ने बिना देर किए अपनी पीठ थपथपाई और पकड़े गए पांच भिखारियों को जेल भेज दिया। पुलिस ने भिखारियों के साथ मौजूद हिना चौहान से बच्ची को बरामद होना दिखाया। हिना ने पुलिस से कहा कि वह उसकी बच्ची है। लेकिन पुलिस ने एक न सुनी और गुड वर्क के चक्कर में बिना तह तक पहुंचे हिना और उसके साथ पकड़े गए चार लोगों को जेल भेज दिया। इसी बीच हिना के पति राजा चौहान ने बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष को व्हाट्सएप पर एक पत्र भेजा और बेटी को खुद का बताने का दावा किया। जिसके बाद बाल कल्याण समिति ने हिना और बच्ची का डीएनए कराने की संस्तुति की।

हिना और बच्ची की मैच हुई रिपोर्ट
बाल कल्याण समिति की संस्तुति पर हुए डीएनए की रिपोर्ट नवंबर 2024 में ही जीआरपी पुलिस को मिल गई। लेकिन यह रिपोर्ट बाल कल्याण समिति के समक्ष नहीं प्रस्तुत की। डीएनए रिपोर्ट के लिए जब बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष ने कड़ाई से कहा तो दो महीने 24 दिन बाद 24 जनवरी को दी। जिसमें हिना और बच्ची की रिपोर्ट मैच कर रही थी। बच्ची के अपहरण के आरोप में जेल में बंद आरोपियों का केस विधिक सेवा प्राधिकरण के आदेश पर असिस्टेंट लीगल डिफेंस काउंसिल लड़ रहा है। पांच आरोपियों में से एक काजल को हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी। डीएनए रिपोर्ट मिलने के बाद अब असिस्टेंट लीगल डिफेंस काउंसिल चारों आरोपियों की रिहाई के प्रयास कर रहा है। लेकिन इससे पहले शिशु सदन में रह रही मासूम को जेल में बंद मां के पास भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके लिए बाल कल्याण समिति ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को पत्र लिखा है।

कोर्ट के आदेश पर होगी रिहाई
डीएनए रिपोर्ट मैच होने के बाद जेल में बंद बच्ची की मां और अन्य तीन लोगों को रिहाई कोर्ट के आदेश पर ही मिलेगी। हालांकि जीआरपी ने डीएनए रिपोर्ट रेलवे मजिस्ट्रेट की कोर्ट में दाखिल कर दी है। असिस्टेंट लीगल डिफेंस काउंसिल के डिप्टी चीफ विनय कुमार ने बताया कि यह केस विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव के द्वारा यह केस आया। जिसमें काम किया चीफ ने सहयोग किया। विनय कुमार ने बताया अब हमारा प्रयास है बेटी को मां से मिलवाया जाए। जो जेल में बंद हैं उनको न्याय दिलवाएं। पूरी टीम का प्रयास रहेगा कि जितनी अवधि वह जेल में हैं उसका मुआवजा उनको दिलाया जाए।

असिस्टेंट लीगल डिफेंस काउंसिल के डिप्टी चीफ ने बताया कौन है दोषी
बिना अपराध किए एक मां को जेल जाना पड़ा। मासूम बेटी शिशु सदन में रहने को मजबूर हुई। इसके लिए दोषी कौन है इस बारे में असिस्टेंट लीगल डिफेंस काउंसिल के डिप्टी चीफ विनय कुमार ने बताया कि नौ महीने बाद बच्ची बरामद दिखाई। नौ महीने में बहुत ज्यादा चेहरा कद, काठी नहीं बदलती है। ऐसे में फूलवती ने इसको कैसे अपनी बेटी बताया। इस मामले में पहली दोषी फूलवती है। इसके अलावा क्या रहा इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन जानकार बताते हैं कि फूलवती के अलावा इस मामले का खुलासा करने वाली जीआरपी की टीम भी दोषी है। जिसने बिना तह तक पहुंचे एक मां बेटी को न केवल अलग किया बल्कि मां को अपनी ही बेटी के अपहरण के मामले में जेल भेज दिया।

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