गुरुग्राम। गुरुग्राम विश्वविद्यालय के शिक्षण संसाधन व्यक्तियों (टीआरपी) ने अपनी मांगों को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पंकज डावर के नेतृत्व में जिला उपायुक्त निशांत कुमार यादव को ज्ञापन सौंपा। इस दौरान सिमरन पूनिया,पर्ल चौधरी डा. रूपसी, डा. सोमवीर, डा. मनी तनेजा, डा. चेतन जैन, डा. ममता, गरिमा, डा. गुरप्रीत कौर, प्रियंका, श्वेता, सुजाता, इशा, प्रतिभा,निशित कटारिया,प्रो सुभाष सपरा,शमीम खान,सत्यवती हुड्डा, मौजूद रहे। ज्ञापन में कहा गया है कि गुरुग्राम विश्वविद्यालय ने वर्ष 2018 में यूजीसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार हमें शिक्षण संसाधन व्यक्ति के रूप में नियुक्त किया था। वेतनमान में गैर पीएचडी धारकों के लिए 30,000 रुपये और पीएचडी धारकों के लिए 35,000 रुपये तक ही उन्हें सीमित कर दिया गया है। उनका कार्यभार यूजीसी के मानदंडों से अधिक है। फार्मेसी विभाग में उनके नाम फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के पोर्टल पर स्थायी कर्मचारियों के रूप में शामिल किए गए हैं, जो कि गलत हैं। वर्ष 2019 के समान काम के लिए समान वेतन के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद उन्हें सहायक प्रोफेसर के समान मुआवजा, चिकित्सा या मातृत्व अवकाश भी नहीं दिया जा रहा। यदि कोई भी अवकाश लेते हैं तो वेतन काट लिया जाता है।
ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि दिसम्बर 2021 में पदभार संभालने वाले गुरुग्राम विवि के कुलपति प्रो. दिनेश कुमार से कई बार अनुरोध किया गया, फिर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। जिससे उन्हें उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। मामला दायर करने के बाद उनका कार्यभार फिर से असाइन किया गया। नए संविदात्मक कर्मचारियों को नियुक्त किया गया, जो सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के खिलाफ है। नए कर्मचारियों को 57,700 रुपये और अन्य कई लाभ मिलते हैं, जबकि उनका शोषण व उत्पीड़न किया गया है। परीक्षा और साक्षात्कार में सफल होने के बावजूद किसी भी टीआरपी को स्थायी पद पर नियुक्त नहीं किया गया है। अतिरिक्त संविदात्मक कर्मचारियों को नियुक्त किया जा रहा है, जबकि हमारा कार्यभार रोका गया है। अन्य विश्वविद्यालयों में इसी तरह के मामलों को उच्च न्यायालय द्वारा कर्मचारियों के पक्ष में फैसला दिया गया है। फिर भी उनकी मांगों को लटकाया जा रहा है।
शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के हक दे सरकार: पंकज डावर
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पंकज डावर ने कहा कि अपनी पूरी क्षमता से जो शिक्षक देश का भविष्य बनाने का काम कर रहे हैं, उनके हकों पर सरकार को ऐसे कुठाराघात नहीं करना चाहिए। महिलाओं को बेहतर माहौल व हक देने की बात करने वाली सरकार को इस विषय पर बिना देरी के उनके हक देने चाहिए, ताकि वे अपनी ड्यूटी और बेहतरी से कर सकें। कांग्रेस नेत्री पर्ल चौधरी ने कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षण संस्थानों में ना तो विद्यार्थियों को सुविधाएं दे पा रही है और ना ही स्टाफ को। मजबूरी में आज स्टाफ को अपनी मांगें उठानी पड़ी हैं।
टीआरपी का नाम बदलकर सहायक प्रोफेसर में बदलें
उन्होंने उपायुक्त के समक्ष मांग रखी कि उनके पदनाम टीआरपी को शिक्षण संसाधन व्यक्ति से सहायक प्रोफेसर (संविदात्मक) में बदलें। उनके कार्यभार में यूजीपी के दिशा-निर्देशों के साथ संरेखित करें। बेसिक वेतनमान के अनुसार मुआवजा दें। वर्तमान कार्यभार सहायक प्रोफेसर के समान है और वेतन भी समान ही मिलना चाहिए। साथ ही चिकित्सा व मातृत्व लाभ भी दिया जाना चाहिए। सेमेस्टर ब्रेक, परीक्षाओं या छुट्टियों के कारण हुए अंतराल के दौरान वेतन सुनिश्चित किया जाए। नियुक्ति की तारीख से वर्तमान तिथि तक बकाया वेतन का भुगतान करें। यह मुआवजा उचित उचित वेतन के बिना किए गए कार्य के लिए दिया जाना चाहिए। उन्हें नियुक्ति पत्र भी दिए जाने चाहिए और पूर्व अनुभव को भी मान्यता दी जाए। सभी शिक्षण संसाधन व्यक्तियों के लिए नौकरी सुनिश्चित करें। उन्हें यह आश्वासन दिया जाए कि उनके पद सुरक्षित हैं।