Thursday, November 14, 2024
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जे.सी.बोस यूनिवर्सिटी के मीडिया विद्यार्थियों के लिए ‘रेडियो’ स्क्रिप्ट लेखन की कार्यशाला संपन्न

तहलका जज्बा / दीपा राणा
फरीदाबाद। जे.सी.बोस यूनिवर्सिटी के संचार एवं मीडिया तकनीकी विभाग के मीडिया विद्यार्थियों के लिए रेडियो प्रसारण विशेषज्ञ राजेंद्र चुघ द्वारा ‘रेडियो’ स्क्रिप्ट लेखन पर एक कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। श्री चुघ जिन्हे रेडियो प्रसारण क्षेत्र में चार दशक का अनुभव है। आकाशवाणी रेडियो में लंबे समय तक सेवाएं दे चुके हैं। उन्होंने कार्यशाला में हिंदी भाषा में रेडियो स्क्रिप्ट लेखन के महत्व, उसकी तकनीकों और हिंदी भाषा के मूल सिद्धांतों पर विशेष चर्चा की।


मीडिया विभाग के पीसीसी रूम में आयोजित कार्यशाला में शामिल पत्रकारिता के स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को रेडियो समाचार वाचक राजेंद्र चुघ ने रेडियो स्क्रिप्ट लिखने के मूलभूत सिद्धांतों, हिंदी भाषा की बुनियादी समझ और स्पष्ट, सरल तथा सजीव लेखन के तरीकों पर मार्गदर्शन दिया गया। श्री चुघ ने प्रतिभागियों को बताया कि रेडियो स्क्रिप्ट लिखते समय संवाद का सही चयन, भाषा की स्पष्टता और श्रोता की समझ के अनुसार विषय-वस्तु का चयन कितना महत्वपूर्ण है। उन्होंने हिंदी में प्रभावशाली रेडियो स्क्रिप्ट लिखने और हिंदी भाषा का सही उपयोग करने की कुशलताओं को भी साझा किया। इस अवसर पर बीए जेएमसी के छात्र पार्थ को भी रेडियो संपादन में उनके योगदान के लिए  पुस्तक देकर सम्मानित किया गया। पार्थ ने रेडियो संपादन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करते हुए अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। जिसके लिए उन्हें कार्यशाला में विशेष सराहना मिली।


संचार एवं मीडिया तकनीकी विभाग अध्यक्ष डॉ.पवन सिंह ने सफल आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य मीडिया छात्रों को रेडियो के माध्यम से अपने विचारों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने, श्रोताओं से जुड़ने और हिंदी भाषा की समझ में निपुण बनाना था। इस सत्र को अत्यंत लाभकारी और प्रेरणादायक माना। रेडियो समाचार वाचक राजेंद्र चुघ ने कहा कि रेडियो स्क्रिप्ट लेखन एक रचनात्मक कला है जो भाषा, श्रोताओं की मानसिकता और संवाद की स्पष्टता पर निर्भर करती है। मुझे प्रसन्नता है कि प्रतिभागियों ने इस कार्यशाला में उत्साहपूर्वक भाग लिया और इसे सार्थक समझा। कार्यशाला समन्वयक सहायक प्राचार्य डॉ.तरुणा नरूला ने विशेषज्ञ  राजेंद्र चुघ को स्मृति चिन्ह स्वरूप पुस्तक भेंट कर उनका स्वागत एवं आभार व्यक्त किया।

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