यमुना तट पुण्य विश्राम घाट पर भगवान श्रीकृष्ण की पटरानी यमुना महारानी एवं उनके भाई धर्मराज का प्राचीन मंदिर है। मंदिर के सेवायत रामकुमार चतुर्वेदी के अनुसार यह विश्व का एकमात्र मंदिर है, जहां यमराज (धर्मराज) और उनकी बहन यमुना जी एक साथ विराजमान हैं। उन्होंने बताया कि यमुना महारानी का यह प्रथम घर है। यमुनाजी के घर जब उनके भाई यमराज आए तो उनका बहन ने सत्कार किया। जब यमराज जाने लगे तो बहन यमुना जी ने उनका टीका किया। यमराज ने प्रसन्न होकर बहन से वरदान मांगने को कहा। इस पर यमुनाजी ने भाई से भक्तों के कल्याण के लिए वरदान मांगा कि भाई दूज के दिन मथुरा के विश्राम घाट पर यमुना में स्नान कर पूजन करेगा और उनके मंदिर में आकर पूजन कर आशीर्वाद लेकर वह यमलोक न जाकर बैकुंठ लोक जाए। इस पर यमराज ने बहन को यह वरदान दिया। तभी से बहन यमुना के यहां आए यमराज को धर्मराज कहा जाता है। मंदिर के सेवायत रामकुमार ने बताया कि मंदिर में यमुना महारानी के चार भुजा हैं। इनमें एक हस्त में कमल, दूसरे भाई के लिए टीका, तीसरे हाथ में भोजन की थाली और चौथे हाथ में वह संकल्प ले रही हैं। यमुना के बराबर में विराजित धर्मराज के एक हाथ में दंड और दूसरे हाथ में यमुना महारानी को संकल्प दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि यमुना स्नान के बाद भाई बहन इनका दर्शन करते हैं। यमुना जी को वस्त्र, श्रृंगार सामग्री और धर्मराज को काला वस्त्र अर्पित करते हैं।
यमुना महारानी एवं उनके भाई धर्मराज के प्राचीन मंदिर की गाथा
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