Tuesday, January 14, 2025
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Homeहरियाणाराज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने लोहड़ी एवं मकर संक्रांति पर्व की दी शुभकामनाएं

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने लोहड़ी एवं मकर संक्रांति पर्व की दी शुभकामनाएं

तहलका जज्बा / विनोद गुप्ता
चंडीगढ़। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने देश और प्रदेशवासियों को लोहड़ी एवं मकर संक्रांति के पावन अवसर पर शुभकामनाएं देते हुए प्रदेश के लोगों के अच्छे स्वास्थ्य, सुख एवं समृद्धि की कामना की है। हमारी संस्कृति में त्योहारों का बहुत महत्व है। वे एक एकीकृत शक्ति हैं जो सभी को एक साथ लाती हैं। संक्रांति का त्यौहार हरियाणा प्रदेश के साथ-साथ तेलुगु लोगों के लिए भी खास है। संक्रांति तिल और गुड़ के साथ मनाई जाती है। तिल प्रेम का प्रतीक है। गुड़ मिठास का प्रतीक है।

राज्यपाल ने मकर संक्रांति के बारे में बताते हुए कहा संक्रांति त्योहार प्रकृति में परिवर्तन का प्रतीक है। सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर बढ़ता है और अंधकार को दूर करता है। यह वह समय है जब प्रकृति में गर्मी और रोशनी बढ़ जाती है, जो विकास का संकेत है। उन्होंने कहा कि मकर संक्रांति का पर्व हरियाणा में सकरांत के रूप में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। यह पर्व हरियाणा में बेटी के सम्मान और बुजुर्गों के आशीर्वाद का प्रतीक है। इस दिन सभी लोग अपने बड़े बुजुर्गों को सम्मान स्वरूप शॉल व चद्दर भेंट करते है और बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त करते है।
राज्यपाल ने कहा कि त्योहारों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। त्योहार हमारे जीवन को रंगों और उत्साह से भर देते हैं। त्योहार समाज में आपसी भाईचारे को मजबूत करते हैं और लोगों के दिलों से द्वेष को दूर करते हैं। उन्होंने कहा कि मकर संक्रांति का पर्व तमिलनाडु में पोंगल, गुजरात में उत्तरायण, असम सहित उत्तर-पूर्व में बिहू के रूप में मनाया जाता है इसलिए यह त्यौहार भारत की अनेकता में एकता को प्रमाणित करता है।

उन्होंने इश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा कि लोहड़ी की पवित्र अग्नि समाज से सभी प्रतिकूलताओं को दूर कर दें, मकर संक्रांति की ऊंची उड़ान भरने वाली पतंगें हमारे दिलों को उल्लास से भर दें और पोंगल की पारंपरिक मिठास उत्सव और खुशी के क्षण लेकर आए। उन्होंने कहा कि भारतीय त्यौहार देश की सभ्यता व संस्कृति के प्रतीक है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि हमें पौराणिक त्योहारों को पूरी श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाना चाहिए, तभी भारतीय संस्कृति और अधिक समृद्ध होगी।

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