तहलका जज्बा / शिवांगी चौधरी
वृंदावन / मथुरा। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को नरेंद्र कुमार गोस्वामी बनाम भारत सरकार मामले की सुनवाई हुई। इस मामले में याचिका कर्ता ने ताज ट्रैपेजियम जोन में अवैध पेड़ों की कटाई, वृंदावन की आध्यात्मिक पारिस्थितिकी को खंडित करने और उक्त प्रक्रिया में 500 करोड़ के फर्जी लेन-देन का आरोप लगाया था। कोर्ट ने पाया कि इसी तरह का मामला पहले से ही राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में विचाराधीन है। जब न्यायाधीश ने पूछा कि एनजीटी में अगली सुनवाई कब है, तो याचिकाकर्ता ने बताया कि अगली तारीख 22 जनवरी है। इस पर न्यायाधीश ने कहा कि पहले एनजीटी के आदेश आ जाने दिया जाए, उसके बाद ही इस मामले में किसी रिट को एंटरटेन किया जाएगा। इसी को आधार मानते हुए याचिका का निस्तारण किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को एनजीटी द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट आने तक इंतजार करने को कहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि एनजीटी का अंतिम फैसला आने के बाद ही इस मामले पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। सुनवाई के दौरान, प्रतिवादी वकीलों ने यह भी कहा कि उन्हें याचिका की कॉपी मीडिया के माध्यम से प्राप्त हुई है। यह फैसला ताजमहल और वृंदावन जैसी धार्मिक एवं पर्यावरणीय रूप से महत्वपूर्ण जगहों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है।
मुख्य बिंदु
याचिका ताज महल के आसपास के क्षेत्र से जुड़ी है, जिसे ताज ट्रैपेजियम जोन कहा जाता है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि इस क्षेत्र में अवैध रूप से पेड़ों की कटाई की गई है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है। याचिका में वृंदावन की आध्यात्मिक पारिस्थितिकी को भी नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के अंतिम फैसले का इंतजार करने का निर्णय लिया है। एनजीटी में इस मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को होगी।