➡प्रेम में दीवानी गुंजन ने कान्हा संग लिए सात फेरे
हिन्दुस्तान तहलका / शिवांगी चौधरी
मथुरा – कान्हा के प्रेम में जो पड़ा, उन्हीं का होकर रह गया। भगवान की भक्ति हर कोई करना चाहता है, लेकिन ऐसे कम ही लोग होते हैं जो तन, मन और धन सब कुछ भगवान को अर्पित कर उनके होकर रह जाते है। शनिवार को एक बेटी ने फिर कान्हा से ब्याह रचाया। परिचित, स्वजन और रिश्तेदार, इस अनोखे विवाह के साक्षी बने। बरात आई, द्वारचार हुआ और फिर युवती और कान्हा ने एक-दूसरे को वरमाला पहनाई। करीब 250 बरातियों और जनातियों के भोजन का प्रबंध भी किया गया। मथुरा में हुई इस अनोखी शादी को जिसने देखा वह युवती की भक्ति और भगवान कृष्ण की जय जयकार करने लगा। ऐसी शादी में शामिल होने वाला हर शख्स अपने को धन्य मान रहा था।
मथुरा शहर के गोवर्धन रोड स्थित हंसराज कॉलोनी की रहने वाली साध्वी गुंजन भारद्वाज भगवान श्रीकृष्ण भक्ति में लीन हैं। 24 वर्षीय गुंजन ने बीए प्रथम वर्ष की पढ़ाई के बाद आगे की पढ़ाई छोड़ दी। बचपन से ही उन्हें कान्हा से लगाव था, हर वक्त कान्हा की भक्ति में लीन रहने लगीं। पढ़ाई छोड़ने के बाद कान्हा की भक्ति में ही पूरा दिन रमने लगा। पिता चतुर्भुज आचार्य कथावाचक हैं। गुंजने के दो भाई कृष्ण मुरारी और गिरवर कथा वाचक हैं। बड़ी बहन नीलम की शादी 20 वर्ष पूर्व बरारी गांव में हुई थी। गुंजन और कान्हा के विवाह में करीब ढाई सौ लोग मेहमान बने।
गुंजन के विवाह में निभाई गई सभी रस्में
चतुर्भुज आचार्य ने बताया कि उनकी दो बेटी और दो बेटे हैं। गुंजन सबसे छोटी है। उन्होंने बेटी की शादी के लिए कई रिश्ते देखे, लेकिन उसने मना कर दिया। उसने भगवान श्रीकृष्ण से शादी की इच्छा जताई। कहा कि अगर कान्हा से शादी नहीं हुई, तो वह कहीं शादी नहीं करेगी। जब गुंजन नहीं मानी तो उसके माता, पिता और भाइयों ने कान्हा से शादी के लिए मुहूर्त निकाला। दो मार्च को जब मुहूर्त निकला तो फिर घर में शुरू की गई शादी की तैयारी। सभी तैयारी करने के बाद शनिवार को पहले लग्न हुई, उसके बाद सगाई और फिर निकाली गई कान्हा की भव्य बारात। कॉलोनी की गालियों में से घूमते हुए बारात गुंजन के दरवाजे पर पहुंची जहां निभाई गई द्वार की रस्म। बारात के दरवाजे पर पहुंचने की रस्म निभाने के बाद बारी आई वर माला की। दरवाजे पर छोटा सा मंच बनाकर उस पर चौकी रखी गई। जिस पर कान्हा की प्रतिमा विराजमान की गई। इसके बाद अपनी सहेलियों के साथ दुल्हन बनी गुंजन मंच के सामने पहुंची। जहां पहले उसने कान्हा को माला डाली और फिर उसके बाद कान्हा के हाथ लगवा कर खुद माला पहनी। इस दौरान वहां मौजूद महिला, पुरुष, बच्चे सभी भगवान राधा कृष्ण के जयकारे लगाने लगे।
गुंजन के माता पिता ने किया बेटी का कन्या दान
वर माला की रस्म अदायगी के बाद शादी में शामिल बारातियों को दावत दी गई। इसके बाद रात 12 बजे बाद के शुभ मुहूर्त में शुरू हुई कन्या दान की रस्म। गुंजन के माता पिता ने वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य बेटी का कन्या दान किया। इसके बाद गुंजन ने अपने कान्हा के साथ अग्नि को साक्षी मानकर लिए सात फेरे। इस दौरान गुंजन कान्हा को निहारती ही रही।
मन में इच्छा हुई भगवान की भक्ति करें
दुल्हन बनी गुंजन ने कहा कि मन में इच्छा हुई केवल भगवान की भक्ति करूं इसीलिए भगवान श्री कृष्ण से शादी की। मैं बचपन से भक्ति करती थी, शुरू से पूजा पाठ करते थे और सपना था कान्हा पति रूप में मिलें यही संकल्प लिया। आज भगवान से शादी हो गई तो ऐसा लग रहा है कि आत्मा का परमात्मा से मिलन हो गया।