– एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में वित्त मंत्री करें घोषणा
– आम आदमी के लिए हितकारी होना चाहिए आम बजट
तहलका जज्बा / गीतिका
गुरुग्राम। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पंकज डावर ने कहा कि केंद्रीय बजट को भले ही आम बजट का नाम दिया जाता हो, लेकिन जब तक वह जनता के हित में नहीं होगा तब तक उसे आम नहीं कहा जा सकता। आम आदमी और लघु उद्योगों को केंद्रीय बजट में इस बार विशेष पैकेज, छूट मिलनी चाहिए। उम्मीद है कि एक फरवरी 2025 को संसद में वित्त मंत्री द्वारा पेश किया जाने वाला बजट राहत भरा होगा
रविवार को यहां जारी बयान में पंकज डावर ने कहा कि हरियाणा में करीब साढ़े छह करोड़ सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम औद्योगिक इकाइयां हैं। महंगाई के दौर में ये इकाइयां काफी प्रभावित हो चुकी हैं। सरकार के स्तर पर इन इकाइयों को कभी कोई राहत नहीं मिलती। केंद्र की सरकार भले ही वोकल फॉर लोकल की बात करती हो, लेकिन इसे बढ़ावा देने के लिए छोटी इकाइयों को मजबूत करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हर बार की तरह इस बार भी बजट को बैक डोर से पूंजीपतियों के लिए लाभकारी ना बनाकर सरकार को सीधे देश के आम, गरीब, मध्यमवर्गीय व्यक्ति को राहत देने पर काम करना होगा। छोटे उद्योगों का अस्तित्व बचाने के लिए भी सरकार बजट में प्रावधान करे। प्रदेश में छोटी इकाइयों में निर्माण की ग्रोथ काफी कम हो रही है। चाहकर भी ये उद्योग पनप नहीं पा रहे और बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। एमएसएमई की बिक्री दर व मुनाफा दर पर सीधा असर पड़ रहा है। ऐसे में इनको सरकारी सहायता की दरकार है। जब तक सरकार की ओर से एमएसएमई को सपोर्ट नहीं दी जाएगी, तब तक इनकी स्थिति में सुधार नहीं हो पाएगा। पिछले बजट में भी छोटे उद्योगों को कुछ नहीं दिया गया।
पंकज डावर ने कहा कि बीते बजट में सरकारी बैंकों को अपना क्रेडिट असेसमेंट मॉडल बनाने के लिए प्रोत्साहित करने की बात कही गई थी। आरबीआई ने बजट में शामिल इस प्रावधान पर कुछ काम नहीं किया। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सरकार ने बिना कुछ गिरवी रखे ही छोटी इकाइयों को ऋण देने की घोषणा की हुई है, जबकि ऐसा हो नहीं पाता। बैंक इस बात पर अड़े रहते हैं कि जब तक निजी संपत्ति गिरवी नहीं रखी जाएगी, तब तक वे ऋण नहीं देंगे। ऐसे में सरकार की नीति और गाइडलाइंस छोटे उद्योगों के लिए बेमानी हैं। पंकज डावर ने कहा कि नीति निर्धारकों को यह सुनिश्चित करना ही होगा कि छोटे उद्योगों को सरकार की ओर से बजट में शामिल हर वह हक पूरी ईमानदारी से मिले, जो उसके लिए तय किया गया है।