शराब घोटाले पर कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने सरकार को घेरा
नीरज शर्मा ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि लाॅकडाउन के दौरान बड़ा घोटाला हुआ था, लेकिन सरकार सिर्फ जांच कमेटियां गठित करने में ही व्यस्त रही। जबकि प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारी इस प्रदेश में लूट मचाकर चले गए।

हिंदुस्तान तहलका / वीना शर्मा
चंडीगढ़। एनआईटी से कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे चरण में शराब घोटाले पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान सरकार को घेरा। नीरज शर्मा ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि लाॅकडाउन के दौरान बड़ा घोटाला हुआ था, लेकिन सरकार सिर्फ जांच कमेटियां गठित करने में ही व्यस्त रही। जबकि प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारी इस प्रदेश में लूट मचाकर चले गए।
नीरज शर्मा ने कहा कि लाकडाउन के दौरान 2020-21 में शराब से सरकार को 6786.78 करोड़ और 2021-22 में 7936.71 करोड़ रुपये राजस्व मिला। यानी एक ही साल में सरकार का राजस्व 1250 करोड़ रुपये बढ़ गया। इसलिए यह माना जा रहा है कि 2020-21 में एक हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान घोटाले की वजह से सरकार को हुआ।
नीरज शर्मा ने कहा कि सरकार ने 11 मई 2020 को खरखौदा के सरकारी गोदाम से हुई शराब की चोरी की जांच के लिए जो विशेष जांच टीम गठित की थी, उसकी रिपोर्ट में यह लिखा गया है कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक प्रतीक्षा गोदारा को शराब घोटालों के बारे में जानकारी थी, लेकिन उन्होंने कोई सख्त कार्रवाई नहीं की। इसलिए सरकार को प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों चाहे वह प्रतीक्षा गोदारा हो या फरीदाबाद नगर निगम के घोटाले में आरोपित सोनल गोयल, सभी के खिलाफ सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए। इन अधिकारियों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में इनके कारनामों को विशेष टिप्पणी के साथ अंकित करना चाहिए।
फिर उठाया पेगासस का मुद्दा
विधायक नीरज शर्मा ने इनेलो के अभय चैटाला का साथ देते हुए सदन में पेगासस का मुद्दा फिर उठाते हुए कहा कि सरकार से उन्होंने यह पूछा था कि राज्य के आईपीएस अधिकारी इजराइल साफ्टवेयर पेगासस खरीदने के लिए वहां गए थे या नहीं और इजराइल की गुप्तचर एजेंसी पेगासस से अधिकारियों की मुलाकात हुई थी या नहीं। सरकार ने इसका अधूरा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट जाएंगे लेकिन अब सदन में ऐसे प्रस्ताव लाए जा रहे हैं कि सदन की कार्यवाही को लेकर न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकता। ऐसे में यह बताएं कि यदि किसी जनप्रतिनिधि की बात विधानसभा में नहीं सुनी जाती है तो वह कहां जाए।