देश का सबसे छोटा रॉकेट SSLV-D1 लॉन्च, लेकिन सैटेलाइट से डाटा मिलना हुआ बंद

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से पहला स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल SSLV-D1 को लॉन्च किया है। ये तीन स्टेज का रॉकेट है,जोकि 110 किलो वजनी है।

देश का सबसे छोटा रॉकेट SSLV-D1 लॉन्च, लेकिन सैटेलाइट से डाटा मिलना हुआ बंद

हिंदुस्तान तहलका : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से पहला स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल SSLV-D1 को लॉन्च किया है। ये तीन स्टेज का रॉकेट है,जोकि 110 किलो वजनी है। इसको असेंबल करना बहुत ही आसान है। इसको महज 72 घंटो में असेंबल किया जा सकता है जबकि किसी दूसरे लॉन्च व्हीकल को असेंबल  करने में दो महिला का वक्त लगता है। इसी के साथ ही 'आजादी सैट' सैटेलाइट और पृथ्वी अवलोकन उपग्रह-02' (EOS-02) को भी भेजा गया है। 'आजादी सैट' सैटेलाइट के 75 पेलोड देशभर के 75 ग्रामीण सरकारी स्कूलों के 750 छात्र-छात्राओं ने बनाए हैं।

भविष्य में बढ़ेगी स्मॉल सैटेलाइट मार्केट की मांग 

स्मॉल सैटेलाइट मार्केट और लॉन्चिंग को देखते हुए SSLV-D1 कारगर साबित होने वाला है। आने वाले समय में भी विदेशों में इसकी मांग बढ़ेगी। ख़ास बात ये है कि सैटेलाइट 500 किलोग्राम का वजनी पेलोड ले जा सकता है। ये पेलोड 500 किलोमीटर की ऊंचाई की कक्षा में सैटेलाइट स्थापित करेगा।

क्यों खास है EOS-02 और आजादी सैटेलाइट 

EOS- 02 नई तकनीकों से बना है। इसका वजन 142 किलोग्राम है। अंतरिक्ष में ये 10 महीने तक काम करेगा। इसी के साथ ये इंफ्रारेड कैमरे से लैस है। मैपिंग, फॉरेस्ट्री, एग्रीकल्चर, जियोलॉजी और हाइड्रोलॉजी जैसे यूटीलिटी फील्ड में भी ये EOS- 02 कारगर है। इसे डिफेंस सेक्टर में भी इस्तेमाल में लिया जाएगा। वही दूसरी ओर आजादी सैट सैटेलाइट आठ किलो का क्यूबसैट है, इसमें 50 ग्राम औसत वजन के 75 पेलोड हैं। इसे स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले  ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों द्वारा वैज्ञानिकों की निगरानी में तैयार कराया गया है। 

अब PSLV को बड़े मिशन के लिए किया जाएगा तैयार 

SSLV रॉकेट के लॉन्च होने से अब PSLV का भार कम हो जाएगा क्योंकि इसका सारा काम अब एसएसएलवी करेगा। ऐसे में पीएसएलवी को बड़े मिशन के लिए तैयार किया जाएगा।

SSLV-D1 छात्रों की या से बनाया गया उपग्रह आजादी सेट भी ले गया।  हालांकि सफल लॉन्चिंग के कुछ समय बाद इसरो चेयरमैन की ओर से बताया गया कि मिशन के टर्मिनल फेज़ में डेटा चला गया ओर सैटेलाइट से संपर्क टूट गया है। रॉकेट ने सही तरीके से काम करते हुए दोनों सैटेलाइट्स से देता मिलना बंद हो गया। इसरो प्रमुख एस.सोमनाथ ने कहा की इसरो मिशन कंट्रोल लगातर डेटा लिंक हासिल करने का प्रयास कर रहा है। हम जैसे ही लिंक स्थापित कर लेंगे। इस  देश को जल्द ही जानकारी देंगे।