तिरुपति बालाजी में मुस्लिम दंपति ने दान किए 1.02 करोड़ रुपए

चेन्नई में रहने वाले एक दंपति ने तिरुपति बालाजी के मंदिर में 1.02 करोड़ रुपए का दान दिया है। ख़ास बात ये है की ये दंपति हिन्दू नहीं बल्कि मुस्लिम है। उन्होंने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के अधिकारियों को चेक सौंपा।

तिरुपति बालाजी में मुस्लिम दंपति ने दान किए 1.02 करोड़ रुपए

चित्तूर (हिंदुस्तान तहलका) : चेन्नई में रहने वाले एक दंपति ने तिरुपति बालाजी के मंदिर में 1.02 करोड़ रुपए का दान दिया है। ख़ास बात ये है की ये दंपति हिन्दू नहीं बल्कि मुस्लिम है। उन्होंने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के अधिकारियों को चेक सौंपा। जिसके बाद अधिकारीयों ने बताया कि इस दान के 87 लाख नए बने पद्मावती रेस्ट हाउस के फर्नीचर और बर्तनों के लिए और बाकी वहां की सुविधाएं बेहतर करने में लगायी जाएगी।

दानकर्ता अब्दुल गनी एक व्यवसायी हैं। एक बार पहले भी साल 2020 में उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान मंदिर परिसर में कीटाणुनाशक स्प्रे करने के लिए एक ट्रैक्टर-माउंटेड स्प्रेयर का दान दिया था। इससे पहले, पत्नी सुबीना बानो और अब्दुल गनी ने सब्जियों के परिवहन के लिए मंदिर को 35 लाख रुपए का रेफ्रिजरेटर ट्रक दान में दिया था। इस दान के साथ ही एसवी अन्ना प्रसादम् ट्रस्ट के लिए 15 लाख रुपए का डिमांड ड्राफ्ट शामिल है, जो मंदिर में आने वाले भक्तों को खाना खिलाता है। 

देश में सबसे धनी मंदिरों में शामिल है तिरुपति बालाजी 

दक्षिण भारत के आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित ततिरुपति बाला जी का मंदिर प्रसिद्ध, विशालकाय, और भव्य है। साथ ही देश का सबसे धनी मंदिर है। बड़ी संख्या में लोग यहां  दान करते है। ये दान हजारों रुपए से लेकर करोड़ों का होता है। इसी के साथ ही मंदिर के कई पहलू ऐसे ही जो इस मंदिर को अद्भुत बनाते है। कहा जाता है मंदिर मेरूपर्वत के सप्त शिखरों पर बना हुआ है, जो शेषनाग के फन जैसी प्रतीत होती है। इन चोटियों को शेषाद्रि, नीलाद्रि, गरुड़ाद्रि, अंजनाद्रि, वृषटाद्रि, नारायणाद्रि और व्यंकटाद्रि कहा जाता है।

इनमें से व्यंकटाद्रि नाम की चोटी पर भगवान विष्णु विराजित हैं और इसी वजह से उन्हें व्यंकटेश्वर के नाम से जाना जाता है। तिरुपति बालाजी भगवान नारायण का रूप है। आपने  श्री नारायण को तुलसी पत्र से भोग तो जरूर लगाया होगा और फिर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण भी किया होगा।  मगर  इस मंदिर में तिरुपति बालाजी को तुलसी पत्र भोग लगाने के बात उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण नहीं किया जाता है। बल्कि पत्र को मंदिर के कुंड में डाल दिया जाता है। इसकी एक ख़ास बात यह भी है कि श्री वेंकेटेश्वर स्वामी मंदिर में एक दीया सदैव जलता रहता है। ख़ास बात ये है कि इस दीपक में कभी भी तेल या घी नहीं डाला जाता। यहां तक कि ये भी नहीं ज्ञात है कि दीपक को सबसे पहले किसने और कब प्रज्वलित किया था।