शिमला के लगभग सभी वार्डों की स्ट्रीट लाइट बनी शोपिस
राजधानी में स्ट्रीट लाइट्स मतलब रात में राहगीरों का सहारा। शहर की स्ट्रीट लाइट्स रात के अंधेरे को दूर कर महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित घर पहुंचाती है, लेकिन शिमला शहर के लगभग सभी वार्डों की स्ट्रीट लाइट तो शोपिस ही रह गई हैं।

हिंदुस्तान तहलका / मोहित कोछड़
शिमला। राजधानी में स्ट्रीट लाइट्स मतलब रात में राहगीरों का सहारा। शहर की स्ट्रीट लाइट्स रात के अंधेरे को दूर कर महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित घर पहुंचाती है, लेकिन शिमला शहर के लगभग सभी वार्डों की स्ट्रीट लाइट तो शोपिस ही रह गई हैं। यहां पर ज्यादातर तो आधे शहर की स्ट्रीट लाइट्स बंद ही रहती हैं। वहीं, बार-बार शिकायत करने पर भी इन स्ट्रीट लाइट्स को बदला नहीं जाता। हालांकि यह बात जरूर है कि शहर में स्मार्ट सिटी के तहत कई विकास कार्य हो रहे हैं, लेकिन अभी तक स्मार्ट सिटी का एक कार्य भी पूरा नहीं हुआ हैं। वहीं, स्ट्रीट लाइट्स की तो कोई बात भी नहीं करता। ऐसे में शहर के लोगों की सबसे बड़ी परेशानी का कारण भी स्ट्रीट लाइट्स है। शिमला में आधे से ज्यादा लोग अपने कार्य क्षेत्र से रात को ही घर की ओर लौटते हैं। ऐसे में उन राहगीरों को ठोकरें खाकर ही घर पहुंचना पड़ता है। वहीं, कई क्षेत्रों के रास्ते खराब भी हैं। ऐसे में अंधेरे में गिरकर लोग चोटें खा चुके हैं। वहीं, शिमला में जंगली क्षेत्रों वाले क्षेत्रों में तो अकसर जानवरों का खतरा भी बना रहता है। ऐसे में रात को घर वापस जाना कामकारों के लिए खतरे से खाली नहीं है।
शिकायत करने पर भी नहीं बदली जाती लाइट्स
शहर में स्ट्रीट लाइट्स खराब होने के कारण अकसर जानलेवा हादसे होते रहते हैं। रात के समय जब किसी को घर जाना होता है तो पहले ही टॉर्च का जुगाड़ करना पड़ता है। निगम प्रशासन को शिकायत करने के बाद भी स्ट्रीट लाइट्स की मरम्मत कार्य नहीं किया जाता। हमारी मांग है कि शहर की सभी पुरानी स्ट्रीट लाइट्स को बदला जाए
काफी समय से नहीं बदलीं लाइट्स
स्थानीय लोगों ने रोष प्रकट करते हुए बताया कि आधे से ज्यादा शहर की स्ट्रीट लाइट्स बंद हैं। शहर में सिर्फ मंत्रियों की कोठी और माल रोड की ही स्ट्रीट लाइट्स ठीक होती हैं, बाकी तो शहर अंधरे में ही रहता है। जो लाइट्स जलती भी हैं, वह भी कम रोशनी दे रही हैं। इसका सबसे बड़ा कारण शहर में काफी समय से पुरानी लाइट्स को बदला नहीं गया है। नेता लोगों को तो आश्वासन देने की आदत है जो कभी पूरी नहीं होती
शिमला शहर में लगाई जाएं हाईटेक लाइट्स
लोगों का कहना है कि शहर की सारी स्ट्रीट लाइट्स पुरानी हो चुकी हैं और इनके खराब होने के कारण शहर में आए दिन जंगली जानवरों से डर लगा रहता हैं। हमारे वार्ड कनलोग से तो कुछ समय पहले छोटी सी बच्ची को तेंदुआ उठाकर ले गया था और पालतू कुत्तों के उठाने की संख्या तो गिनती में ही नहीं आती। हमारी निगम प्रशासन से मांग है कि सभी पुरानी स्ट्रीट लाइट्स को आधुनिक स्ट्रीट लाइट्स में बदला जाए
अंधेरे में नशेडिय़ों की जम रहीं महफिलें
स्थानीय लोगों ने बताया कि कनलोग बाइपास में सबसे ज्यादा अंधेरा रहता है जिसका फायदा नशा करने वाले उठाते हैं। रात के समय यहां पर नशे करने वालों की महफिलें लगी रहती है, जिससे महिलाओं का आना-जाना खतरों से खाली नहीं होता। निगम प्रशासन से कई बार इसके बारे में शिकायत की है, लेकिन कोई कठोर कार्रवाई अमल में नहीं लाई जा रही। यहां पर जो लाइट्स लगाई गई थी। वह भी शरारती तत्वों ने तोड़ दी हैं। निगम प्रशासन से मांग है कि यहां पर लाइट्स लगाई जाए। इसके अलावा सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएं
इन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा लाइट्स खराब
शहर में मुख्य पर्यटक स्थल मालरोड, ओकआवेर और सचिवालय तक की ही स्ट्रीट लाइट्स सुचारू चलती है। इसके अलावा तो किसी भी क्षेत्र की लाइट्स सही नहीं है। शहर के आईजीएमसी से संजौली सडक़ की अकसर लाइट्स बंद ही रहती है। हालांकि इन दिनों यहां पर फुटपाथ का कार्य भी चला है, जिससे यहां पर हादसों का खतरा भी बना हुआ है। इसके अलावा समरहिल, सांगटी, कनलोग, टिंबर हाउस, पंथाघाटी, ढल्ली, कुफटाधार और इनके साथ लगते क्षेत्रों में अकसर स्ट्रीट लाइट्स के खराब होनी की शिकायत आती रहती है।
अंधेरे में बना रहता है तेंदुए का खतरा
राहगीरों ने बताया कि शिमला के बहुत से क्षेत्र जंगलों के रास्तों में है। ऐसे में यहां पर तेंदुए का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। पिछले कुछ समय पहले भी कनलोग क्षेत्र से एक छोटे बच्ची को तेंदुआ उठा के ले गया था। उस समय भी इस क्षेत्र की स्ट्रीट लाइट्स खराब थी। अंधेरे के कारण यहां पर आए दिन हादसों का आलम बना हुआ है।
नगर निगम चुनावों में स्ट्रीट लाइट्स रहेंगी मुद्दा
नगर निगम चुनावों का हमेशा ही यही मुद्दा रहता है कि शहर की पुरानी स्ट्रीट लाइट्स को बदला जाए और सभी प्रत्याशी भी वोट बटोरने के लिए अपने मैनिफेस्टों पर भी स्ट्रीट लाइट्स को बदलने और अच्छी किस्म की लाइटें लाने का वायदा करते हैं और जीतने के बाद शहरवासी फिर से इन्हीं समस्याओं को लेकर निगम प्रशासन के द्वार खटखटाते हैं।