कामाख्या मंदिर में मनाया जा रहा अंबुबाची उत्सव, देशभर से पहुंचे श्रद्धालु और तांत्रिक
पूर्वोत्तर भारत के असम राज्य में गुवाहाटी से लगभग 10 किलोमीटर दूर नीलांचल पहाड़ी पर स्थित प्राचीन मां कामाख्या शक्तिपीठ

पूर्वोत्तर भारत के असम राज्य में गुवाहाटी से लगभग 10 किलोमीटर दूर नीलांचल पहाड़ी पर स्थित प्राचीन मां कामाख्या शक्तिपीठ पर इन दिनों दुनिया भर के तंत्र-मंत्र साधकों की भीड़ उमड़ पड़ी है। गुवाहटी का कामाख्या देवी मां का मंदिर भारत में सबसे ज्यादा लोकप्रिय मंदिरों में गिना जाता है। मान्यता है कि यहां पर माता सती की योनि गिरी थी, इसलिए इस जगह को 51 शक्तिपीठों में सबसे प्रमुख स्थलों में गिना जाता है। जिसके चलते यहां एक खास उत्सव होता है।
51 शक्तिपीठों में एक कामाख्या मंदिर में 22 जून से 26 जून तक के लिए अंबुबाची मेला चल रहा है। कोविड-19 महामारी के चलते दो साल बाद आयोजित मेले में देश भर के लोग जुटे हैं। बता दें अंबुबाची मेला 26 जून को संपन्न होने जा रहा है। इस दिन मंदिर की साफ-सफाई और देवी मां कामाख्या की विशेष पूजा के बाद भक्तों के लिए कपाट खोला जाएगा। इसके बाद सभी भक्त माता कामाख्या का दर्शन कर वापस लौटेंगे।
अंबुबाची मेला हर साल जून के महीने में मनाया जाता है। जहा ये मंदिर स्थित है उस गांव का नाम अंबुबाची है इसलिए इस मेले का नाम अंबुबाची मेला है।अंबुबाची का अर्थ है पानी से बोली जाने वाली। इस शब्द का अर्थ ये भी है कि मानसून के महीनों में बारिश पृथ्वी को उपजाऊ करने के लिए तैयार करती है। अंबुबाची मेले में मां कामाख्या के वार्षिक मासिक धर्म चक्र का जश्न मनाया जाता है। इस बार ये आयोजन काफी जश्न के साथ मनाया जाएगा। इस मेले में बड़ी संख्या में भक्त देवी का आशीर्वाद लेने और विशेष 'रक्त बस्त्र' प्राप्त करने के लिए मंदिर में आते हैं। इस मेले के दौरान धार्मिक पुजारी भव्य पूजा करते हैं और आम लोगों से लेकर साधुओं तक कई तीर्थयात्री इस उत्सव में शामिल होने आते हैं।