हिंदुस्तान तहलका /अनीश कौशिक
समालखा – चुलकाना नरेश बाबा श्यामजी मंदिर पानीपत जिले के हल्का समालखा के गांव चुलकाना धाम में स्थित है। बसंत पंचमी के दिन श्याम बाबा का पीत श्रृंगार किया जाता है। बसंत पंचमी के दिन श्याम बाबा के अंत: वस्त्र बदले जाते हैं। जो 365 दिन बाबा के साथ लिपटे रहता है। इसे केवल बसंत पंचमी के दिन ही बदला जाता है। भक्तों के लिए यह वस्त्र किसी वरदान के समान माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे संतान, विवाह, नौकरी, व्यापार में आने वाली रूकावटें दूर होती है और भक्तों के दु:ख दूर होते हैं। भक्त इस वस्त्र को पाने के लिए पूरा वर्ष इंतजार करते हैं।
इस अवसर पर प्रधान रोशन ने जानकारी देते हुए बताया कि बसंत पंचमी के दिन पंचामृत स्नान के पश्चात श्याम बाबा को पीत अंग वस्त्र पहना कर उसके ऊपर पोशाक के ऊपर पीले के फूलों से श्रृंगार किया जाता है। इस दौरान श्याम बाबा का अंत: वस्त्र बाबा के भक्तों में बांट दिया जाता है। देश-विदेश से बाबा के भक्त इसे पाने के लिए लालायित बसंत पंचमी के दिन श्याम बाबा के दर्शनों के लिए दूर दराज से चुलकाना धाम पहुँचते हैं।
वही पंडित अजित भगवान श्रीकृष्ण ने श्याम बाबा (बर्बरीक) के बलिदान से प्रसन्न होकर वरदान दिया था कि कलयुग में तुम को मेरे श्याम नाम से जाना जाएगा। ऐसा माना जाता है कि बर्बरीक का शीश खाटू नगर (वर्तमान राज्यस्थान राज्य के सीकर)में दफनाया गया था इसलिए उन्हें खाटू श्याम नाम से जाना जाता है और बाकी शरीर हरियाणा के पानीपत जिले के हल्का समालखा के गांव चुलकाना में विद्यमान है। जिस कारण इस धाम को पावन चुलकाना धाम से विश्वविख्यात हैं।
वही पुजारी संदीप ने बताया कि कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी को शीश मंदिर में सुशोभित किया गया था, इसलिए देवउठनी एकादशी को चुलकाना नरेश श्याम के जन्मदिन के रूप मनाया जाता है। चुलकाना धाम में बाबा श्याम को हारे का सहारा कहा जाता है । बाबा के भक्त अपने सुखों का श्रेय श्याम बाबा को देते हैं। उनके भक्त उन्हें लखदातार भी कहते हैं क्योंकि उनका मानना है कि श्याम बाबा से जो भी मांगा जाए वह उन्हें लाखों बार देते हैं।
इसी सिलसिले में विभिन्न धार्मिक संस्थाओं ने समालखा से लेकर चुलकाना धाम तक अनेकों भंडारे लागये हुए थे। जहां लाखो श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। वही श्याम बाबा के दर्शन करने के लिए भक्तों का जन सैलाब चुलकाना धाम में उमड़ा हुआ था। जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने बाबा श्याम के दर्शन किए।