केदारनाथ धाम के दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु, मंदिर में भीड़ तोड़ रही रिकॉर्ड

केदारनाथ मंदिर चार धाम यात्रा में से एक है, जो उत्तराखंड के हिमालय पर्वत की गोद में बसा हुआ है। चार धाम की यात्रा में केदारनाथ और बद्रीनाथ प्रमुख हैं।

केदारनाथ धाम के दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु, मंदिर में भीड़ तोड़ रही रिकॉर्ड

केदारनाथ मंदिर चार धाम यात्रा में से एक है, जो उत्तराखंड के हिमालय पर्वत की गोद में बसा हुआ है। चार धाम की यात्रा में केदारनाथ और बद्रीनाथ प्रमुख हैं। इसके बाद गंगोत्री और फिर यमुनोत्री की यात्रा की जाती है। केदारनाथ धाम में शिवजी का रौद्र रूप निवास करता है। इसलिए इस क्षेत्र को रुद्रप्रयाग कहा जाता है। देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में सबसे उच्च स्थान पर केदारनाथ थाम है। कहते हैं केदारनाथ में भगवान शिव के दर्शन करने से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। केदारनाथ यात्रा में देश से ही नहीं बल्कि विदेश से भी यात्रा आते हैं। सभी श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए केदारनाथ पहुंचे है। केदारनाथ में मौसम का हाल ठीक नहीं है। हर घंटे बारिश शुरू हो रही है। बार-बार मार्ग पर हुआ भूस्खलनहो रहा है। बारिश के कारण पत्थर सरक कर  गिर रहे है। उसके बावजूद भक्त दर्शन करने को पहुंचे है।  

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु के चौथे अवतार महातपस्वी और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। इन दोनों ने पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूरी श्रद्धा से शिव की पूजा की। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर प्रकट हुए और उन्होंने ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा यहा वास करने का वर दिया। उन दोनों तपस्वियों के अनुरोध को स्वीकारते हुए हिमालय के केदार तीर्थ में ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थित हो गए।

इसे लेकर एक दूसरी कथा भी प्रचलित है। पुराणों के अनुसार, महाभारत के युद्ध के बाद पांडव अपने भाई बंधुओं की हत्या के पाप से मुक्त होना चाहते थे। तब वह भगवान शिव की शरण में जाने के लिए काशी पहुंचे वहां उन्हें भगवान नहीं मिले। तब वह हिमालय के बद्री क्षेत्र के लिए निकल पड़े। भगवान शिव पांडवो को दर्शन नहीं देना चाहते है इसलिए वह केदार में जा बसे। पांडवो को आता देख भगवान शिव ने बैल का रूप धारण कर लिया।भीम ने अपना विशाल रप लेकर दोनों पहाड़ो पर अपने पैर फैला दिए। बाकी सब बैल और गाय तो उनके पैर ने निकल गए लेकिन शंकजी रूपी बैल पैर के नीचे से नहीं निकला भीम ने उनकी पीठ को पकड़ना चाहा लेकिन भोलेनाथ धरती में समाने लगे। लेकिन, भीम ने उन्हें पकड़ लिया।भगवान शिव पांडवों की भक्ति को देखकर प्रसन्न हुए। उन्होंने पांडवों को दर्शन देकर उन्हें पाप से मुक्ति दी। तभी से भगवान शिव बैल की पीठ के आकार पिंड के रूप में केदारनाथ में पूजे जाते हैं।