विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के अवसर पर की गई यूथ के साथ परिचर्चा
इगलास ब्लॉक में जवार गांव के राजकीय हाई स्कूल में विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस का आयोजन किया गया। इसका आयोजन विज्ञान फाउंडेशन एव टीडीएच नई दिल्ली के सहयोग से किया गया। इस अवसर पर परिचर्चा कार्यक्रम में विज्ञान फाउंडेशन के सदस्य अरुण शर्मा ने कार्यक्रम का उद्देश्य बताते हुए कहा कि लोग आज प्रकृति के साथ मिलकर नहीं चल रहे।

अलीगढ़ ( हिंदुस्तान तहलका ) : इगलास ब्लॉक में जवार गांव के राजकीय हाई स्कूल में विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस का आयोजन किया गया। इसका आयोजन विज्ञान फाउंडेशन एव टीडीएच नई दिल्ली के सहयोग से किया गया। इस अवसर पर परिचर्चा कार्यक्रम में विज्ञान फाउंडेशन के सदस्य अरुण शर्मा ने कार्यक्रम का उद्देश्य बताते हुए कहा कि लोग आज प्रकृति के साथ मिलकर नहीं चल रहे। अपने फायदे के हिसाब से ऐसी चीजों का उपयोग करते है जिनसे प्रकृति को नुकसान पहुंचता है।
रैली और पोस्टर के माध्यम से प्लास्टिक के नुकसान को लेकर जागरूकता
पहले लोग पानी के लिए कुएं का उपयोग करते थे जिसमे एक बाल्टी पानी भरने में मेहनत लगती थी। लेकिन अब लोग पानी का दुरुपयोग कर रहे हैं क्योंकि उनके पास संसाधन है। लोग अपने आने वाली पीढ़ी के लिए नहीं सोच रहे है। उन्होंने कहा युवा पीढ़ी की जिम्मेदारी बनती हैं कि वे प्रकृति के संरक्षण के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण करे और अपने आसपास सफाई रखे। इसके साथ ही प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल न करे। रैली और पोस्टर के माध्यम से प्लास्टिक के नुकसान के प्रति जागरूक करना चाहिए। हमे कपड़े के थैले का इस्तेमाल करना चाहिए।
इसी बीच गौरी पाराशर ने कहा कि प्रकृति में जीव-जंतु, वनस्पति , मानव ,जल ,वायु, मिट्टी आदि सब आते है और इन सब में बुद्धि केवल मानव के पास है और मानव ही सबसे अधिक प्रकृति का दोहन कर रहा है। अपने फायदे के लिए नदियों को दूषित कर रहा है। पहाड़ों को काटकर नए रोड और बांध बनाए जाते है , वनो को नष्ट करके बड़ी बड़ी इमारतें और होटल बनाए जाते है, जंगलों को काटते हैं जिससे उसमें रहने वाले जंगली जानवरों का भी दोहन होता है , बिना सोचे समझे प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट किया जा रहा है। जो बाड़, सूखा आदि आपदाओं का कारण भी है।
जानवर इंसान के घर में नहीं कर रहा तोड़फोड़, लेकिन इंसान कर रहा है जानवरों के घरों को नष्ट
भावी पीढ़ी के लिए मुश्किलें बढ़ रही हैं। कोई भी जानवर मानव के घर को नहीं तोड़ता फोड़ता लेकिन मानव जानवरों के घरों को नष्ट कर रहा है ऐसे में प्रकृति के साथ सद्भाव बनाए रखने की जरूरत है। प्राकृतिक संसाधनों को संजोने की और उनका संरक्षण करने जरूरत है। प्रकृति के साथ सद्भाव और प्रेम से रहेंगे तो प्रकृति भी प्रेम से रहेगी। उसके बाद रवि शर्मा ने सबका आभार प्रकट करते हुए कहा कि आज का युवा ही कल का स्वर्ण भविष्य है।
युवाओं में अपार क्षमताएं होती है कि वह जो ठान ले वही कर सकते हैं। अगर युवा प्रकृति के संरक्षण का जिम्मा लेंगे तो उन पूंजीपतियों की बिल्कुल हिम्मत नहीं होगी जो अपने फायदे के लिए प्रकृति का विनाश कर रहे हैं। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की जा रही है। जो एक घातक रूप में हमारे सामने आती है। ये प्रकृति जो हमें विरासत में मिली है हमे उसका संरक्षण करने की जिम्मेदारी लेनी होगी।
दूध से ज़्यादा महंगा बिक रहा पानी
इसी कड़ी में अध्यापक राजकुमार तोमर ने कहा इस प्रकृति के संरक्षण की जिम्मेदारी सबकी बनती हैं। हमारी केवल पौधे रोपना ही नहीं बल्कि उस पौधे का संरक्षण करके उसे पेड़ बनाने तक की जिम्मेदारी होती है। पानी का संरक्षण करना चाहिए। कम से कम पानी खर्च करें। अगर तीसरा विश्व युद्ध होगा तो वह पानी के लिए होगा। पानी की जरूरत पूरी नहीं हो रही है। आज दूध से महंगा पानी बिक रहा है। कहीं लोगो के लिए पीने का शुद्ध पानी नहीं है। लोगो को ऐसा पानी पीना पड़ता है जो बीमारी का कारण बनता है। इसलिए पानी ,हवा , पर्यावरण का संरक्षण करें। उसके बाद जूनियर विद्यालय की प्रधानाध्यापिका हिमानी अग्रवाल ने कहा कि "प्रिवेंशन इज बैटर दैन क्योर" पानी और हवा को दूषित होने से बचाएं।
उसके बाद अध्यापिका मेघा मित्तल ने कहा कि किसी चीज के संरक्षण के लिए केवल एक विशेष दिन की जरूरत नहीं हैं। हर दिन हमें प्रकृति का संरक्षण करना चाहिए। जो भी फल खाएं उसके बीज रख ले और कहीं जाएं तो रास्ते में फेंकते हुए जाए। अगर 10 बीज में से एक बीच का भी पेड़ बनता है तो समझो आपकी मेहनत सफल है। सी.एच. ओ राजेन्द्र ने सभी बच्चों से कहा कि सभी प्रकृति को संरक्षित करें जिससे हमारी पृथ्वी बची रहे। कार्यक्रम में सभी युवा साथीयों का सहयोग सराहनीय रहा।