आज से हुई पवित्र सावन मास की शुरुआत, मुख्यमंत्री योगी पहुंचे मानसरोवर मंदिर

आज से श्रावण माह यानि सावन का महीना शुरू हो गया है। आज श्रावण माह के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सावन महीने के पहले दिन मानसरोवर मंदिर पहुंचे।

आज से हुई पवित्र सावन मास की शुरुआत, मुख्यमंत्री योगी पहुंचे मानसरोवर मंदिर

फरीदाबाद (हिंदुस्तान तहलका): आज से श्रावण माह यानि सावन का महीना शुरू हो गया है। आज श्रावण माह के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सावन महीने के पहले दिन मानसरोवर मंदिर पहुंचे। मंदिर में योगी भगवान भोलेनाथ का पूजन किया। साथ ही मुख्यमंत्री ने मानसरोवर शिव मंदिर और रामलीला मैदान की सौंदर्यीकरण के कार्य का लोकार्पण किया। बता दें मानसरोवर शिव मंदिर को सजाने-संवारने में 6.01 करोड रुपए खर्च किए गए हैं वही दूसरी ओर रामलीला मैदान को संवारने में 1.64 करोड़ रुपए खर्च किये गए है। मंदिर परिसर में मल्टीपरपज हॉल, प्रसाधन, 50 लोगों की क्षमता का रैन बसेरा, दो टूरिस्ट शेल्टर, परिसर स्थित सरोवर पर रेड स्टोन रेलिंग, हवन कुंड, रेड स्टोन पाथ-वे, उद्यान, महिला-पुरुष और दिव्यांगजन के लिए टॉयलेट ब्लॉक, पार्किंग, बाउंड्री वाल का निर्माण, लैंडस्कैपिंग, प्रवेश द्वार, पार्किंग के निर्माण के साथ ही सोलर पैनल और विक्टोरिया और गार्डन लाइट लगाए गए हैं। रामलीला के लिए मंच, ग्रीन रूम, बाउंड्रीवाल, टॉयलेट ब्लॉक, उद्यान, दो प्रवेश द्वार बनाने के साथ ही लैंडस्कैपिंग भी कराई गई है।  इसका समापन 12 अगस्त को होगा। हिंदू धर्म में सावन महीने का बहुत महत्व है। आज से भारी संख्या में कावड़ यात्रा शुरू होगी।  

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव सावन के महीने में पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे। वहां उनका स्वागत अर्घ्य और जलाभिषेक से किया गया था। माना जाता है कि प्रत्येक वर्ष सावन माह में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं। भू-लोक वासियों के लिए शिव कृपा पाने का यह उत्तम समय होता है। एक और मान्यता ये भी है कि इसी सावन मास में समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मथने के बाद जो हलाहल विष निकला, उसे भगवान शंकर ने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की; लेकिन विषपान से महादेव का कंठ नीलवर्ण हो गया। इसी से उनका नाम नीलकंठ महादेव पड़ा। विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया। इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने का ख़ास महत्व है। यही वजह है कि श्रावण मास में भोले को जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।