लीगल लिटरेसी क्लब द्वारा मौलिक अधिकारों के प्रति किया जागरूक
गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल एन आई टी तीन फरीदाबाद में प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में लीगल लिटरेसी क्लब द्वारा विद्यालय की जूनियर रेडक्रॉस, सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड और गाइड्स के सहयोग से छात्राओं ने मौलिक अधिकारों के प्रति जागरूक किया।

फरीदाबाद (हिंदुस्तान तहलका) : गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल एन आई टी तीन फरीदाबाद में प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में लीगल लिटरेसी क्लब द्वारा विद्यालय की जूनियर रेडक्रॉस, सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड और गाइड्स के सहयोग से छात्राओं ने मौलिक अधिकारों के प्रति जागरूक किया। प्रधानाचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि छात्राओं ने विभिन्न मौलिक अधिकारों को व्यक्त करते हुए पोस्टर और पेंटिंग भी बनाई। उन्होंने सभी छात्राओं आकांक्षा, निशा, अक्षिता, चंचल, पूजा, प्रीति, प्रियांशी, मुस्कान, अंकिता, खुशी तथा लीगल लिटरेसी क्लब इंचार्ज प्राध्यापिका आशा की प्रशंसा करते हुए बताया कि साधारण कानूनी अधिकारों को राज्य द्वारा लागू किया जाता है तथा उनकी रक्षा की जाती है जबकि मौलिक अधिकारों को देश के संविधान द्वारा लागू किया जाता है तथा संविधान द्वारा ही सुरक्षित किया जाता है।
प्राचार्य मनचंदा ने कहा कि साधारण कानूनी अधिकारों में विधानमंडल द्वारा परिवर्तन किये जा सकते हैं परंतु मौलिक अधिकारों में परिवर्तन करने के लिए संविधान में परिवर्तन आवश्यक हैं। विद्यालय की जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड अधिकारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि भारतीय संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के तीसरे भाग में अनुच्छेद 12 से 35 तक किया गया है। इन अधिकारों में अनुच्छेद 12, 13, 33, 34 तथा 35 का संबंध अधिकारों के सामान्य रूप से है। 44 वें संशोधन के पास होने के पूर्व संविधान में दिये गये मौलिक अधिकारों को सात श्रेणियों में बांटा जाता था परंतु इस संशोधन के अनुसार संपति के अधिकार को सामान्य कानूनी अधिकार बना दिया गया।
भारतीय नागरिकों को छ्ह मौलिक अधिकार समानता का अधिकार अनुच्छेद 14 से 18 तक, स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 19 से 22 तक, शोषण के विरुध अधिकार अनुच्छेद 23 से 24 तक, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 25 से 28 तक और सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बंधित अधिकार अनुच्छेद 29 से 30 तक एवम संवैधानिक उपचारों का अधिकार, अनुच्छेद 32 प्राप्त हैं। उन्होंने सभी छात्राओं से अपने अधिकारों के साथ ही अपने कर्तव्यों के प्रति भी सजग रहने के लिए प्रेरित किया।