21वी सदी के पहले पैदल हज यात्री बने मोहम्मद शिहाब, पैदल तय करेंगे 8640 KM की दूरी

अल्लाह का घर देखने की इच्छा हर मुसलमान की होती है। लेकिन हजारों किलोमीटर पैदल चलकर हज पर जाना हर किसी के बस की बात नहीं।

21वी सदी के पहले पैदल हज यात्री बने मोहम्मद शिहाब, पैदल तय करेंगे 8640 KM की दूरी

अल्लाह का घर देखने की इच्छा हर मुसलमान की होती है। लेकिन हजारों किलोमीटर पैदल चलकर हज पर जाना हर किसी के बस की बात नहीं। लेकिन इरादे मजबूत हो तो मंजिल भी आसान हो ही जाती है। ऐसा ही नेक और मजबूत इरादा लेकर हज के लिए निकले हैं केरल के शिहाब छोतूर। हिंदुस्तान की आखिरी छोर केरल के मलपुरम जिले के कोट्टककल के पास अटावनाड नामक इलाका के रहने वाले हैं शिहाब। आज के दौर में पैदल हज यात्रा करना लगभग नामुमकिन सा है। फिर भी केरल के शिहाब छोतूर अल्लाह के घर को देखने के लिए पैदल मक्का पहुंचने के लिए निकल पड़े। उन्होंने अकेले ही पैदल चलकर 8600 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय की।

भारत, पाकिस्तान, इराक, ईरान और सऊदी अरब जैसे देशों का सफर तय करते हुए शिहाब 8 महीने बाद अगले साल तक मक्का पहुंच जाएंगे। शिहाब का कहना है कि मेरा सफर रूहानी है जिसमें मेरा मकसद पैदल हज करने का है। किसी ने मेरी कोई मदद नहीं की है। “मुझे सलाह देने वाला भी कोई नहीं मिला। हमने केवल लोगों के पैदल मक्का जाने के बारे में सुना था, लेकिन इस जमाने में हिंदुस्तान में शायद ही कोई जिंदा इंसान मिले। जो यहां से पैदल हज करने का अनुभव बता सके।” हजरत आदम अलैहिस्सलाम ने हिंदुस्तान से कई मर्तबा पैदल चलकर हज का सफर किया है।

जुम्मे को जब वह चलीयाम पहुंचे तो सैकड़ों लोग उनका इस्तकबाल करने के लिए जमा हो गए। कई ब्लॉगर्स उनकी यात्रा का प्रचार कर रहे हैं। क्योंकि शिहाब 21वी सदी में भारत से पैदल हज यात्रा करने वाले पहले इंसान हैं। उनका कहना है कि अनजान इलाकों का सफर तो हिंदुस्तान छोड़ने के बाद शुरू होगा। जो बेहद मुश्किल, जोखिम और तकलीफों से भरा होगा। मैं कोई तंबू नहीं ले जा रहा हूं क्योंकि मैं दिन के उजाले में चलना चाहता हूं। लेकिन मुझे बाद में एक तंबू खरीदना होगा। अगले साल फरवरी 2023 तक मक्का पहुंचने वाले शिहाब ने बताया कि इंशा अल्लाह, मैं 8 महीने में 8640 किलोमीटर की दूरी तय करता हुआ मक्का पहुंच जाऊंगा।

जानिए क्यों की जाती है हज यात्रा?

इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक मुसलमानों की सबसे पवित्र हज यात्रा 6 जून 2022 दिन सोमवार से शुरू हो रही है। मुस्लिम धर्म के लोगों के लिए हज यात्रा बेहद जरूरी मानी जाती है। यह इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक है। इस्लाम धर्म में मान्यता है कि अल्लाह की मेहर पाने के लिए जीवन में एक बार हज यात्रा पर जाना बेहद जरूरी है। जिस प्रकार मुसलमान नमाज और रोजा अदा करके अल्लाह की मेहर पाते हैं ठीक उसी प्रकार व हज यात्रा को भी अहमियत देता है। हज यात्रा को पूरा करके वह मुसलमान होने का फर्ज अदा कर देता है और अपने जन्म को सफल बनाता है। हज में पुरुष सफेद रंग का लिबास और महिलाएं ऐसे कपड़े पहनती है जिनमें उनके मुंह को छोड़कर पूरा शरीर ढक जाए। इसकी अलावा यात्रियों को परफ्यूम लगाने, नाखून काटने, बाल और दाढ़ी काटने की भी मना ही होती है। साथी हज यात्रा के दौरान यात्रियों को झगड़ने या बहस करने की इजाजत नहीं होती है।