हिंदुस्तान तहलका / नसीम खान
तावडू – हरियाणा प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने गत वर्ष प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में ड्रेस कोड लागू करने के आदेश किए थे। लेकिन एक वर्ष बीत जाने पर भी क्षेत्र के अधिकतर सरकारी अस्पतालों में ड्रेस कोड लागू नहीं हो पाया है। जिससे यह पता ही नहीं चल पाता कि सरकारी अस्पताल में कौन कर्मचारी है व कौन अधिकारी तथा कौन उपचार के लिए वहां आया हुआ है। जिसके चलते नर्सिंग स्टाफ व छोटे कर्मचारी भी स्वयं को चिकित्सक बताकर मरीजों को गुमराह कर रहे हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में पहुंचने पर वहां नर्सिंग स्टाफ को छोडकर चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी निधार्रित ड्रेस कोड की पालना नहीं की रहे थे।
अस्पताल में ट्रेनिंग फार्मेंसिस्ट के लिए भी ड्रेस कोड निर्धारित है, लेकिन रिस्पेशन के बैठे रहने के दौरान वह भी सादी ड्रेस में दिखाई पड़े। हालांकि कुछ चिकित्सक ड्रेस कोड में देखे गए। उल्लेखनीय है कि फरवरी 2023 में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में ड्रेस कोड लागू करने के आदेश दिए थे।
नोटिफिकेशन जारी कर डयूटी के समय कोई भी कर्मचारी किसी भी रंग की जींस, डेनिम, स्कर्ट, प्लाजो, कैपरी जैसे कपड़ो को पहनने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई। काले और सफेद रंग की पेंट व सफेद कोट को ही ड्रेस कोड में लागू किया गया था। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में ड्रेस कोड पूरी तरह लागू नहीं होने के कारण एक बार फिर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री अनिल विज ने इस संबंध में गत एक मार्च से ड्रेस कोड पूरी तरह लागू करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन अभी भी कर्मचारी लापरवाही बरत रहे हैं। जिससे उपचार के लिए अस्पतालों में पहुंचने वालों को भारी असुविधा का सामना करना पडता है।
एसएमओ कपिल देव ने बताया कि ड्रेस कोड में रहने के लिए कर्मचारियों और अधिकारियों को कई बार कहा जा चुका है। इसके बावजूद भी यदि कोई कर्मचारी-अधिकारी इसकी पालना नहीं करता और ड्रेस कोड में नहीं आता तो उसके खिलाफ नियामानुसार कार्रवाई करते हुए उसका उस दिन का वेतन काटा जाएगा।