रक्षाबंधन पर बाजार में रहेगी प्रसिद्ध पकी मिट्टी से बने टेराकोटा राखियों की भरमार
रक्षाबंधन से पहले कारीगर टेराकोटा राखियां बना रहे हैं। इन राखियों की अनूठी डिजाइन अलग-अलग रंग और अलग-अलग फिनिशिंग पहले से ही लोगों का दिल जीत रही है।

गोरखपुर (हिंदुस्तान तहलका): लॉकडाउन के बाद से लगातार मंदी झेल रहे दुकानदारों के चेहरे पर कुछ रौनक लौटी है। दुकानदारों के मुताबिक मार्च महीने के बाद कोई पर्व नहीं होता। इसके बाद जून में भी बहुत कम लोग खरीदारी के लिए आते हैं। गर्मी के सीजन में विवाह व अन्य समारोह भी कम होते हैं, जिसके चलते बाजार में मंदी छाई हुई थी। लेकिन भाई-बहन का त्योहार रक्षाबंधन इस साल 11 अगस्त को मनाया जाएगा। बाजार में भी सुंदर रक्षा सूत्र की भरमार होती है। पिछले 2 सालों से बाजार में राखियों की बिक्री बेहद कम हुई है। लेकिन इस बार बाजार बेहद जोरो शोरों से लगने वाला है। वहीं इस बीच योगी आदित्यनाथ सरकार के निरंतर प्रयासों के कारण, गोरखपुर में पाई जाने वाली प्रसिद्ध पकी मिट्टी से बने टेराकोटा उत्पादों को एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना के तहत वैश्विक पहचान मिल रही है।
रक्षाबंधन से पहले कारीगर टेराकोटा राखियां बना रहे हैं। इन राखियों की अनूठी डिजाइन अलग-अलग रंग और अलग-अलग फिनिशिंग पहले से ही लोगों का दिल जीत रही है। 2018 में योगी आदित्यनाथ ने उत्पादों की ब्रांडिंग करने और अपनी आजीविका कमाने में कारीगरों की मदद करने के लिए ओडीओपी योजना में टेराकोटा शिल्प को शामिल किया। ओडीओपी में इसके शामिल होने से टेराकोटा शिल्पकारों का जीवन बदल गया है। उन्हें अब अपने उत्पादों की बेहतर कीमत मिल रही है और वे बेहतर आय अर्जित कर रहे हैं। अब इसमें शिल्पकारों के साथ-साथ और भी कई लोग इनोवेशन के आइडिया से जुड़ रहे हैं।
इको फ्रेंडली टेराकोटा राखियां बनाने वाली शिखा शर्मा ने बताया कि हम हर साल थोड़ी बहुत राखियां बनाते थे। 2 साल से कोविड के कारण ज्यादा रिस्पॉन्स नहीं मिला। इस साल हमें काफी ऑडर भी मिल रहे हैं। इस साल हम ज्यादा राखियां बना रहे हैं। महिलाएं अलग-अलग डिजाइन की बड़े पैमाने पर टेराकोटा की राखियां बना रही हैं। 15 जुलाई को गोरखपुर में टेराकोटा राखियों की प्रदर्शनी आयोजित की गई थी जहां इन राखियों की बिक्री भी की गई।
बताया जा रहा है कि टेराकोटा राखियों का विचार घरों में लगने वाली सुंदर टेराकोटा मूर्तियों से आया था। टेराकोटा के आकर्षक मिट्टी के आभूषण भी अपनी पहचान बना रहे हैं। टेराकोटा से बने हार, झुमके, और कंगन बाजार में काफी मांग में हैं। खूबसूरत टेराकोटा ज्वैलरी अब फैशन स्टेटमेंट बना रही है। टेराकोटा शिल्पकारों का जीवन बेहतर के लिए बदल गया है। ओडीओपी योजना में शामिल किए जाने के बाद टेराकोटा उत्पादों की मांग बढ़ गई है। इस पहल ने उद्यमिता और रोजगार के एक स्पेक्ट्रम के माध्यम से इन उत्पादों को एक नया अर्थ दिया है।
योगी सरकार के प्रयासों से टेराकोटा उत्पाद तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। यूपी सरकार कॉमन फैसिलिटी सेंटर्स के जरिए टेराकोटा की ब्रांडिंग को और मजबूत करने जा रही है। गोरखपुर में दो सीएफ़सी बनाए जा रहे हैं। सीएफ़सी के गठन से टेराकोटा कारीगरों को एक ही छत के नीचे गुणवत्ता जांच और प्रशिक्षण सहित सभी सुविधाएं मिलने लगेंगी। इससे टेराकोटा बाजार का और विस्तार होगा। सरकार के प्रयासों से टेराकोटा उत्पाद भी अब विभिन्न ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन उपलब्ध हैं।