लखनऊ : उत्तर प्रदेश में जबरन धर्मांतरण से जुड़ा एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें बलरामपुर जिले के रहने वाले जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को गिरफ्तार किया गया है। छांगुर बाबा पर धर्मगुरु की आड़ में सैकड़ों लोगों का कथित तौर पर जबरन धर्म परिवर्तन करवाने का आरोप है। राज्य की आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) ने उन्हें बीते सप्ताह गिरफ्तार किया।
राज्य सरकार ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए बाबा की सहयोगी नीतू रोहरा उर्फ नसरीन के नाम पर दर्ज मकान को अवैध निर्माण के तहत गिरा दिया। यह घर बलरामपुर के नेपाल सीमा से सटे इलाके में स्थित है, जिसे सरकारी ज़मीन पर बनाया गया बताया गया है।
कौन हैं छांगुर बाबा?
छांगुर बाबा का असली नाम जमालुद्दीन है। वह बलरामपुर जिले के उतरौला तहसील के अंतर्गत रेहरा माफी गांव के निवासी हैं। बाबा का जीवन बचपन में बेहद गरीबी में बीता। गांववालों के मुताबिक वे कई सालों तक भीख मांगकर और अंगूठी-नग बेचकर जीवन यापन करते थे।
बाद में वे मुंबई गए और कुछ वर्षों बाद जब लौटे तो उन्होंने खुद को एक पीर (धार्मिक गुरु) के रूप में स्थापित कर लिया। उन्होंने बलरामपुर की चांद औलिया दरगाह के पास एक बैठक भी बना ली थी, जहां अनुयायी आने लगे।
छांगुर बाबा दो बार अपने गांव के प्रधान भी रह चुके हैं — 2005 से 2010 और फिर 2015 से 2020 तक।
धर्मांतरण के आरोप कैसे लगे?
स्थानीय निवासी व छांगुर बाबा के पूर्व सहयोगी वसीउद्दीन उर्फ बब्बू चौधरी ने बाबा के खिलाफ सबसे पहले अवैध धर्मांतरण की शिकायत की थी। आरोपों के मुताबिक बाबा ने धर्म की आड़ में हिंदू महिलाओं व पुरुषों को इस्लाम धर्म कबूल करवाया।
उत्तर प्रदेश ATS की जांच में सामने आया है कि बाबा और उनकी सहयोगी नसरीन उर्फ नीतू रोहरा ने मिलकर कथित रूप से करीब 3000 से ज़्यादा लोगों का धर्म परिवर्तन कराया।
बुलडोज़र कार्रवाई और संपत्ति जांच
बलरामपुर जिला प्रशासन ने जांच के बाद पाया कि छांगुर बाबा की सहयोगी नसरीन का मकान सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बना है। इसी आधार पर मकान पर बुलडोज़र चलाया गया।
पुलिस और प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार इस इमारत के निर्माण को लेकर छांगुर बाबा और बब्बू चौधरी के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था।
अब इस पूरे मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी केस दर्ज कर लिया है और यह जांच की जा रही है कि बाबा और उनकी टीम को फंडिंग कहां से और किस माध्यम से हो रही थी।
बाबा के समर्थन और विरोध में प्रतिक्रियाएं
इस पूरे मामले पर बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “ऐसे ढोंगी बाबाओं से बचना चाहिए जो धर्म की आड़ में गंदा खेल खेलते हैं।
वहीं बाबा की ओर से उनके वकील मोहम्मद आमिर ने कहा है कि, “यह मामला अदालत में विचाराधीन है। हम संविधान के तहत अपने अधिकारों की रक्षा करेंगे। जांच अभी जारी है, इसलिए किसी नतीजे पर पहुँचना जल्दबाज़ी होगी।”
राजनीतिक हलचल
इस मामले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार बहन-बेटियों की गरिमा और सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि अभियुक्त की गतिविधियाँ समाजविरोधी ही नहीं, राष्ट्रविरोधी भी हैं।” मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ये भी कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार क़ानून-व्यवस्था को लेकर किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं बरतेगी. अभियुक्त और उसके गिरोह से जुड़े सभी अपराधियों की संपत्तियाँ जब्त की जाएँगी और उन पर सख़्त क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी.
छांगुर बाबा पर लगे आरोपों के बाद विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों ओर से बयानबाज़ी शुरू हो गई है। जहां सरकार इसे ‘लव जिहाद और धर्मांतरण’ के विरुद्ध कार्रवाई बता रही है, वहीं कुछ संगठन इसे धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा बना रहे हैं।
छांगुर बाबा का मामला केवल एक व्यक्ति पर लगे आरोपों तक सीमित नहीं है। यह घटना उत्तर प्रदेश में धार्मिक पहचान, प्रशासनिक सख्ती और राजनीतिक इच्छाशक्ति के संगम को दर्शाती है। इस मामले की जांच अब ATS, ED और प्रशासनिक एजेंसियां कर रही हैं। आने वाले दिनों में और खुलासे संभव हैं।