Thursday, January 30, 2025
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भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर जे.सी. बोस विश्वविद्यालय में विशेषज्ञ वार्ता का आयोजन किया

– पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें संविधान में निहित प्रावधानों पर भी देना होगा ध्यानः कुलपति प्रो. तोमर
– भारतीय संविधान में विद्यमान है भारत की सनातन संस्कृति और परंपरा के प्रमुख तत्वः डॉ.डी.पी.भारद्वाज

तहलका जज्बा / दीपा राणा
फरीदाबाद। जे.सी.बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद ने आज ‘हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान’ विषय पर विशेषज्ञ वार्ता का आयोजन किया, जो भारत के संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए एक साल तक चलने वाले अभियान का हिस्सा है। कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के डीन स्टूडेंट वेलफेयर कार्यालय द्वारा किया गया। कार्यक्रम में विद्या भारती की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष डॉ. डी.पी. भारद्वाज और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली से प्रो. प्रसन्नांशु प्रमुख वक्ता रहे। सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर ने की। कार्यक्रम के दौरान, भारत के संविधान की प्रस्तावना को पढ़ा गया।

कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई, जिसके बाद अतिथि वक्ताओं का स्वागत किया गया। अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रो. तोमर ने मौलिक कर्तव्यों के महत्व पर बल दिया, विशेष रूप से लोकतंत्र को बनाए रखने में पर्यावरण संरक्षण की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों से पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में मदद करने के लिए संसाधनों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने का आह्वान किया। प्रो.प्रसन्नाशु ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना की महत्वपूर्ण बातों के बारे में जानकारी दी, जिसमें मूल्यों, उद्देश्यों और मार्गदर्शक सिद्धांतों को रेखांकित किया गया है। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना भारत को एक संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में वर्णित करती है जो अपने लोगों के लिए न्याय, समानता और स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने भारतीय संविधान में निहित लचीलेपन के लिए इसकी प्रशंसा की जो इसे विश्व के महानतम संविधानों में से एक बनाता है।

डॉ. डी.पी. भारद्वाज ने भारतीय संविधान में सनातन संस्कृति और परंपरा के प्रमुख तत्वों पर प्रकाश डाला। उन्होंने पड़ोसी देशों के संविधानों की विफलताओं का उल्लेख किया और डॉ. भीमराव अंबेडकर एवं संविधान सभा को एक ऐसे संविधान का मसौदा तैयार करने का श्रेय दिया जो 75 वर्षों के बाद भी प्रासंगिक, स्थिर और सफल बना हुआ है। इस अवसर पर विभिन्न वाद-विवाद और भाषण प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए गए। कार्यक्रम के अंत में छात्र कल्याण के डीन प्रो. प्रदीप कुमार डिमरी ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया तथा कार्यक्रम की सफलता में योगदान देने वाले सभी प्रतिभागियों और उपस्थित लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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