-नीचे गिरे लोगों को रौंदते हुए निकला भीड़ का रेला
-बिखरा सामान, चीखते-भागते, अपनों की खोज में लगे रहे लोग
-सीएम योगी ने लोगों से संयम बरतने की अपील
तहलका जज्बा / मनोज
प्रयागराज। मौनी अमावस्या के दिन अमृत स्नान शुरू होने से पहले ही संगम नगरी से बुरी खबर सामने आ गई। मौनी अमावस्या स्नान के दौरान संगम नोज घाट पर भगदड़ मचने से बड़ा हादसा हुआ। इसमें 20 लोगों की मौत हो गई। हालांकि मरने वालों की संख्या कहीं अधिक बताई जा रही है। लेकिन प्रशासन की ओर से मृतकों की संख्या की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। करीब 200 से अधिक श्रद्धालुओं का उपचार चल रहा है। हादसा पिलर नंबर 157 के पास हुआ। 40 से अधिक एंबुलेंस के माध्यम से घायलों और मृतकों को केंद्रीय अस्पताल पहुंचाया गया। परिजनों की चीख पुकार से संगम से लेकर महाकुंभ के केंद्रीय चिकित्सालय तक कोहराम मचा रहा। पूरी रात एंबुलेंस के सायरन गूंजते रहे। बेकाबू भीड़ को बैरिकेडिंग करके रास्ता रोकने के कारण हादसा होना बताया जा रहा है। मौके पर भारी पैमाने पर फोर्स तैनात कर दी गई है। भगदड़ जैसे हालात पैदा होने के बाद में अखाड़ों के शाही स्नान को रद्द कर दिया गया था। हालांकि, इसे फिर से शुरू कर दिया गया है।
महाकुंभ में कैसे मची भगदड़
अमृत स्नान की वजह से ज्यादातर पांटून पुल बंद थे। इसके कारण संगम पर पहुंचने वाली करोड़ों की भीड़ इकट्ठा होती चली गई। संगम नोज पर एंट्री और एग्जिट के रास्ते अलग-अलग नहीं थे। लोग जिस रास्ते से आ रहे थे, उसी रास्ते से वापस जा रहे थे। अखाड़ों के लिए बनाई गई बैरिकेडिंग भी कुछ स्नानार्थियों ने तोड़ने का प्रयास किया। जिसको जहां से जगह मिलती उधर ही चला जाता। आधी रात के बाद स्नानार्थियों की भीड़ संगम तट के करीब ठहर गई, जिससे स्थिति बिगड़ने लगी। रात करीब दो बजे स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई थी।
चश्मदीदों ने किया हादसा बयान
संगम घाट पर उस वक्त कैसा मंजर था। वहां मौजूद लोगों ने अपनी आपबीती बयां की है। चश्मदीदों का कहना है कि संगम नोज पर शुभ मुहूर्त में स्नान को लेकर होड़ मची हुई थी। बड़ी संख्या में लोग स्नान के लिए संगम नोज की ओर बढ़ रहे थे। पोल नंबर 11 से 17 के बीच अचानक बहुत तेज गति में पीछे से भीड़ का रेला आया। कुछ लोग संभल नहीं सके और नीचे गिर पड़े तो भीड़ उन्हें रौंदते हुए निकल गई। फिर कौन कहां गिरा, कौन नीचे दबा, किसी को कुछ पता नहीं चला। अपनों को बचाने में कई और लोग भगदड़ की चपेट में आ गए। पुलिसकर्मी जब तक स्थिति नियंत्रित कर पाते तब तक दर्जनों लोग अचेत हो चुके थे। जबकि कुछ ऐसे भी लोग थे जो होश में तो थे ,लेकिन वह कुछ बोल पाने की स्थिति में नहीं थे। इसमें 20 स्नानार्थियों की मौत हो गई। दो दर्जन से ज्यादा लोग जख्मी भी हुए। उन्हें अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया। मृतकों में सात की पहचान हुई है जो यूपी के साथ बिहार, झारखंड, कोलकाता के रहने वाले हैं। वहीं सूत्रों की माने तो मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय कॉल्विन के मोर्चरी पर 31 शव पोस्टमार्टम के लिए लाए गए हैं। घटना रात एक से दो बजे के बीच हुई। हादसे के बाद संगम तट पर एनएसजी कमांडो ने मोर्चा संभाल लिया।
पीएम मोदी और सीएम योगी की अपील
पीएम मोदी ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना जताई है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने लोगों से संयम बरतने की अपील की है। उन्होंने कहा कि श्रद्धालु संगम पर ही स्नान करने की न सोचें। गंगा हर जगह पवित्र है, वे जहां हैं उसी तट पर स्नान करें।
कुंभ मेला इतिहास में भगदड़ की घटनाओं का गवाह रहा
साल 1954 का कुंभ मेला भारत की आजादी के बाद पहला मेला था। इसको एक त्रासदी के तौर पर भी याद किया जाता है। 3 फरवरी 1954 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में कुंभ मेले में मौनी अमावस्या के शुभ अवसर पर पवित्र स्नान करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंची थी। मौनी अमावस्या के स्नान के समय, एक हाथी नियंत्रण से बाहर हो गया और भगदड़ मच गई। 45 मिनट तक चले मौत के तांडव में करीब 800 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। ऐसा माना जाता है कि उस कुंभ में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी आए थे। विभिन्न स्रोतों के अनुसार त्रासदी के आंकड़े अलग-अलग थे। द गार्जियन ने बताया कि 800 से अधिक लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए। वहीं, द टाइम ने बताया कि कम से कम 350 लोग कुचले गए और डूब गए, 200 लापता बताए गए और दो हजार से अधिक घायल हुए। किताब ‘लॉ एंड ऑर्डर इन इंडिया’ के अनुसार, 500 से अधिक लोग मारे गए।
एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1986 में कुंभ मेले में एक भगदड़ मच गई थी। इसमें कम से कम 200 लोगों की जान चली गई। यह हालात जब पैदा हुए जब तत्कालीन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और सांसदों के साथ हरिद्वार पहुंचे। जब सुरक्षाकर्मियों ने आम लोगों को नदी के किनारे जाने से रोक दिया, तो भीड़ बेकाबू हो गई है और भगदड़ मच गई।