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श्री कृष्ण जन्म भूमि की मुक्ति को अब याचना नहीं रण होगा

– सेक्टर-16 में माऊली सरकार के पंडाल में होगा महासंवाद

तहलका जज्बा / मनोज
प्रयागराज। करीब साढ़े तीन सौ साल पहले विधर्मी मुगल शासक औरंगजेब ने भगवान श्री कृष्ण के विशाल मंदिर को तोड़ कर मूल गर्भगृह के स्थान पर जिस मस्जिद का निर्माण कराया, उसको कब्जा मुक्त कराने की, अब याचना नहीं रण होगा। महाकुंभ नगर के मुक्ति मार्ग स्थित सेक्टर- 16 में माऊली सरकार के पंडाल में एक फरवरी (शनिवार) इसका बिगुल बज जाएगा। संत समाज के होने वाले महासंवाद में भगवान श्री कृष्ण के मंदिर निर्माण को रणभूमि सजाने की योजना को अंतिम रूप भी दे दिया जाएगा।

जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी राजेश्वरी माऊली सरकार पीठाधीश्वर श्री रुक्मिणी विदर्भ पीठ के मुक्तिमार्ग स्थित पंडाल में शुक्रवार को यह जानकारी श्री कृष्ण जन्म भूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष और श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद के वादी महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने दी। उनका कहना है  कि हिंदू समाज अपने पूर्वजों की जन्म भूमि के उस भाग को सैकड़ों वर्षों से मांग रहा है, जिस पर 1670 में विधर्मी शासक औरंगजेब ने मस्जिद का निर्माण कराया था। यह वही स्थान है, जहां भगवान का जन्म हुआ था। यही मूल गर्भगृह स्थान है। ये भूमि दो एकड़ से अधिक है। इसके पास ही वह कूप है, जिससे देवकीनंदन जी के अभिषेक करने लिए जल जाया करता था। इस भूमि पर निर्मित मस्जिद को हटाकर मंदिर निर्माण की मांग को लेकर के हाईकोर्ट में एक मुकदमा विचाराधीन है। एक अन्य विवाद यह भी है कि विधर्मी औरंगजेब ने भगवान  श्री कृष्ण के मंदिर का ध्वस्त करने के बाद भगवान के विग्रहों को मथुरा से ले गया और आगरा स्थित जामा मस्जिद की सीढ़ियों में लगा दिए। उनको वापस मथुरा लाने का मुकदमा के वादी भी वह (महेंद्र प्रताप सिंह) है। उन्होंने कहा कि, मूल गर्भ गृह को अतिक्रमण मुक्त करवा कर मंदिर निर्माण कराने के लिए अब याचना तो हो बहुत चुकी, जो सैकड़ों सालों से की जा रही है। अब रण होगा। रणभूमि सजाने की योजना को कल दोपहर एक बजे से होने वाले महासंवाद में बनाई जाएगी। इस की संपूर्ण तैयारी की जा चुकी है।

जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी राजेश्वरी माऊली सरकार पीठाधीश्वर श्री रुक्मिणी विदर्भ पीठ ने कहा कि भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण की लड़ाई कोई एक दो साल नहीं लड़ी है, सैकड़ों वर्ष के संघर्ष और तमाम कुर्बानियों के बाद अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर का निर्माण हो सका। इसलिए तो श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास ने ‘आ गए हैं अवध बिहारी, अब आएंगे कृष्ण मुरारी’ का नारा दिया है। इस नारे की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई देने लगी है और एक दिन ऐसा आएगा, जब हार एक हिंदू की जुबां पर यही नारा होगा। उन्होंने बताया कि वृन्दावन में पिछले साल 27 नवंबर को हुई अंतरराष्ट्रीय धर्म संसद में जो भगवान श्री कृष्ण के मंदिर निर्माण के लिए जो नीति तय की गई थी, उसके सुखद परिणाम महाकुंभ में देखने को मिले। उसका प्रत्यक्ष परिणाम न्यास के हस्ताक्षर अभियान में किए गए सवा करोड़ लोगों के हस्ताक्षर हैं। महाकुंभ के समापन तक पांच करोड़ लोगों के हस्ताक्षर कराने का लक्ष्य श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास ने रखा है। यह हस्ताक्षर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भेजे जाएंगे। अंत में न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि पूरी दुनिया में जहां पर भी हिंदू बसता है, वहां तक इस आंदोलन को पहुंचना है। इस मौके पर श्री रुक्मिणी विदर्भ पीठ के अध्यक्ष सुरेश पाटिल, डॉक्टर अर्जुन सिंह एडवोकेट, नरेंद्र मौर्य, पप्पन जेठानी, अजय सेटे, तेज प्रकाश ठाकरे ट्रस्टी श्री रुक्मिणी विदर्भ पीठ, महाराज क्रांतिकारी संत सत्यमित्रानंद, पंडित श्यामदास, मनोज चौधरी, अधिवक्ता अर्जुन सिंह, नितिन पांडेय, अनूप सिक्की आदि मौजूद रहे।

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