हिन्दुस्तान तहलका / शिवांगी चौधरी
मथुरा – ब्रजभूमि में मौजूद ब्रज संस्कृति एवं ब्रज की लोक कलाओं को उकेरने के लिए मथुरा में निजी क्षेत्र में ब्रज लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय बनाया गया है जो यहां आनेवाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को यहां की उन कलाओं के बारे में जानकारी देगा जो समय के साथ विलुप्त होती जा रही हैं। वैसे तो मथुरा में विश्वस्तरीय दो अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय पहले से ही मौजूद हैं जो जैन धर्म और बौद्ध धर्म पर आधारित हैं तथा इन दोनेा धर्मों की विस्तृत जानकारी देते है और यह ब्रज की पुरातात्विक परंपरा की धरोहर हैं। इन संग्रहालयों में इतनी दुर्लभ कलाकृतियां हैं कि विदेशी छा़त्र अपने शोध के अंतर्गत यहां आते रहते हैं किंतु इन दोनो ही संग्रहालयों में ब्रज की उन कलाकृतियों का एक प्रकार से अभाव है जो ब्रज की थाती हैं। ब्रज लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय ब्रज की उस संस्कृति को उकेरने का काम करेगा जो अपने आप में निराली ही नही बल्कि शिक्षाप्रद भी हैं।किस वाद्य यंत्र को कब बजाया जाएगा और उस समय बजाने का इसका किंतना महत्व है यह इस संग्रहालय में देखने को मिलता है।
उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र का मानना है कि ब्रज के तीर्थत्व की वापसी के आंदोलन की जीवंत प्रस्तुति इस संग्रहालय में बहुत सुन्दर तरीके से प्रस्तुत की गई है। ब्रज की कलाओं के माध्यम से यहां की संस्कृति का अध्ययन करने वाले शोधार्थियों के लिए संग्रहालय जीवनी का काम करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह संग्रहालय यहां आनेवाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को यहां की प्राचीन लोक कला एवं शिल्प कला की जानकारी देगा तथा राधा और कृष्ण की उन लीलाओं का भी प्रस्तुतीकरण करेगा जो अभी तक अछूते हैं।