हिन्दुस्तान तहलका / ललित जिंदल
सोहना – मानवता सबसे बड़ा धर्म होता है। जिससे व्यक्ति की पहचान होती है। लोगों को सभी वर्ग, जाति, धर्मों को छोड़ कर मानवता का धर्म अपनाना चाहिए। यह बात निरंकारी मिशन प्रमुख माता सुदीक्षा ने कॉलेज में आयोजित गोल्डन जुबली समारोह में विद्यार्थियों के समक्ष कही। इस अवसर पर उन्होंने यह भी कहा कि विद्यार्थियों को आध्यमिकता का पाठ अवश्य पढ़ना चाहिए। जिससे सांस्कारिक होने का बल मिलता है। समारोह में शिक्षकों व विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया गया था।
शुक्रवार को निरंकारी बाबा गुरबचन सिंह मैमोरियल कॉलेज में स्वर्ण जयंती समारोह का आयोजन किया था। उक्त कार्यक्र्म हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हो गया है। समारोह में बतौर मुख्यातिथि निरंकारी मिशन प्रमुख माता सुदीक्षा महाराज थीं। जिनके पहुँचने पर कॉलेज प्रशासन ने भव्य स्वागत किया था। जिनकी सुरक्षा चाक चौबंद थी। कॉलेज में माता का प्रवचन सुनने के लिए दिल्ली, गुरुग्राम, मेवात आदि स्थानों से सैकड़ों भक्त पहुंचे थे। समारोह को लेकर कॉलेज प्रशासन मुस्तैद था। कॉलेज को दुल्हन की तरह सजाया गया था। मुख्य द्वार से लेकर कॉलेज परिसर के अंदर तक गॉर्ड व सुरक्षाकर्मी तैनात थे। समारोह की शुरुआत दीप प्रज्ववलन से की थी। तत्पश्चात कॉलेज विद्यार्थियों ने अतिथियों के सम्मान में स्वागत गीत प्रस्तुत किया। कॉलेज प्रबंध समिति महासचिव एसएस सेठी ने कॉलेज की रिपोर्ट प्रस्तुत की तथा बताया कि बीते 50 वर्षों में कॉलेज ने शिक्षा, खेल, सांस्कृतिक गतिविधियों में अनेकों उपलब्धियां हासिल की हैं। कॉलेज के विद्यार्थियों ने नाटक, नृत्य, कविता आदि की प्रस्तुति देकर सभी की वाही वाही लूटी। समारोह में मेधावी विद्यार्थियों व शिक्षकों को सम्मानित भी किया गया था। इस अवसर पर कॉलेज चैयरमेन रविन्द्र मन्हास, महासचिव एसएस सेठी, कैशियर विनोद बब्बर, प्रिंसिपल प्रेरणा शर्मा, प्रवक्ता डीपी सिंह, जगमाल सिंह, नेहा, सुनील आदि के अलावा काफी संख्या में शिक्षक, अभिभावक व विद्यार्थी मौजूद थे।
50 वर्ष पूर्व हुआ स्थापित
निरंकारी कॉलेज करीब 50 वर्ष पूर्व सन 1974-75 में स्थापित किया गया था। जिसका संचालन निरंकारी मिशन व कस्बे के गणमान्य लोग करते थे। पूर्व में कॉलेज का नाम निरंकारी लोकप्रिय कॉलेज रखा गया था। जिसको बाद में बदलकर निरंकारी बाबा गुरबचन सिंह मैमोरियल के नाम से जाना जाता है। कॉलेज का संचालन कराने में इलाके के लोगों का अभूतपूर्व योगदान रहा है।