⇒ होली के लिए टेसू के फूलों से बन रहे रंग
हिंदुस्तान तहलका / शिवांगी चौधरी
मथुरा – देशभर में होली का त्योहार 8 मार्च को मनाया जाएगा। पूरे देश में वैसे तो होली दो दिन का त्योहार है, लेकिन ब्रज में यह त्योहार 40 दिन तक चलता है। जिसकी शुरुआत राधा की जन्मस्थली बरसाना से होती है। इसके बाद ही देश के अन्य हिस्सों में होली खेली जाती है। बरसाने की लट्ठमार होली दुनियाभर में मशहूर है। रंगों की होली खेलने से पहले यहां की महिलाएं लठमार होली खेलती हैं, जिसमें महिलाएं पुरुषों पर लाठी बरसाती हैं। दिलचस्प बात ये है कि लोग इस शरारत का बुरा न मानते हुए खुशी से इस रस्म का आनंद लेते हैं। ये होली राधा कृष्ण के प्रेम का प्रतीक है।
नंदगांव से आए हुरियारिन पर होती है लाठियों से वार
लट्ठमार होली के लिए हुरियारिन तैयारियों में जुटी हैं। तेल लगाकर लाठियां तैयार कर रही हैं। नए-नए कपड़े सिलवाए जा रहे हैं। नंदगांव से होली खेलने के लिए आने वाले हुरियारों पर डाले जाने वाला रंग भी बनाया जा रहा है। टेसू के फूलों से ये रंग तैयार किए जा रहे हैं। बरसाना में लट्ठमार होली की कैसे तैयारी की जा रही है। बरसाना की लट्ठमार होली खेलने के लिए सबसे ज्यादा तैयारी में जुटी हैं राधा रानी की सखी रूपी हुरियारिन।
नंदगांव के हुरियारों के साथ होली खेलने के लिए हुरियारिन एक महीने पहले से ही तैयारी करना शुरू कर देती हैं। होली खेलने के लिए हुरियारिन नए कपड़े सिलवा रही हैं। यहां हुरियारिन नए कपड़े पहन कर होली खेलती हैं। लट्ठमार होली के दौरान हुरियारिन नंदगांव से आए हुरियारों पर लाठियों से वार करती हैं। हुरियारे अपने साथ लाई ढाल से खुद को लाठी से बचाते हैं। लट्ठमार होली के लिए हुरियारिन लाठियों को तैयार कर रही हैं। यहां लाठियों को तेल लगाया जा रहा है।
लाठियों को तेजी से चलाने के लिए ताकत हो, इसलिए दूध, दही, मक्खन, मेवा आदि खा रही हैं। होली की तैयारियों में जुटी बरसाने की हुरियारिन प्रियंका शर्मा और रितिका शर्मा ने बताया लट्ठमार होली की तैयारियों को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है। लट्ठों पर तेल की मालिश की जा रही है। वहीं नए वस्त्र भी खरीद लिए गए हैं। लहंगे ओढ़नी का विशेष महत्व बरसाने की लट्ठमार होली में होता है। नंदगांव से आने वाले होली के हुरियारों पर लाठियां भांजी जाएंगी। हम लोग तैयार हैं। प्रियंका ने बताया कि 3 साल से होली खेल रही हूं बहुत अच्छा लगता है यहां होली खेलकर। घर में होली के दिन नए नए पकवान बनाए जाते हैं। महिलाओं ने बताया कि जब हम होली खेलते हैं तो मन में एक नई उमंग और एक उत्साह देखने को मिलता है|
500 किलो टेसू के फूलों से तैयार किया जा रहा रंग
बरसाना में लट्ठमार होली के दौरान शुद्ध और देसी रंगों का उपयोग किया जाता है। इसके लिए यहां टेसू के फूलों से रंग तैयार किए जा रहे हैं। रंग तैयार करने के लिए 500 किलो टेसू के फूल मंगाए गए हैं। इन फूलों को श्रीजी मंदिर की छत पर गर्म पानी में डाला जाता है। इसके बाद गर्म पानी और टेसू के फूलों में चूना मिलाया जाता है। इसे लगातार गर्म किया जाता रहता है। इस तरह से तैयार होने वाले टेसू के फूलों के रंगों से होली खेली जाती है। ये रंग त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचाते।
हुरियारे भी तैयारियों में पीछे नहीं
जहां बरसाने की हुरियारिनें अपनी तैयारियों में लगी हुई हैं तो वहीं होली के हुरियारे भी पीछे नहीं हैं। लट्ठों के प्रहार से बचने के लिए वे अपनी ढालों को तैयार कर रहे हैं। सिर पर बांधने वाली पगड़ी को भी पूरी तरह से मजबूत बनाया जा रहा है। हुरियारे राजेश गोस्वामी ने बताया कि बगल बंदी तैयार कर रहे हैं। ढालों पर तेल की मालिश की जा रही है। होली खेलने का रणभेष होता है उसे ही तैयार हम करने में लगे हुए हैं।
लट्ठमार होली की तैयारी में जुटा प्रशासन
बरसाना की लट्ठमार होली देखने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालुओं को कोई समस्या न हो, इसके लिए प्रशासन तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटा है। व्यवस्था में कोई कमी न रह जाए, इसके लिए डीएम से लेकर कमिश्नर तक बरसाना का दौरा कर रहे हैं। अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दे रहे हैं।
कैसे हुई लठमार होली की शुरुआत
बरसाना की लट्ठमार होली भगवान कृष्ण के काल में उनके द्वारा की जाने वाली लीलाओं का एक हिस्सा है। माना जाता है कि श्री कृष्ण अपने सखाओं के साथ कमर में फेंटा लगाए राधा रानी और उनकी सखियों के साथ होली खेलने बरसाने पहुंच जाया करते थे। उनकी हरकतों से परेशान होकर उन्हें सबक सिखाने के लिए राधा और उनकी सखियां उन पर डंडे बरसाती थीं। उनकी मार से बचने के लिए कृष्ण और उनके मित्र लाठी और ढालों का उपयोग किया करते थे, जो धीरे-धीरे होली की परंपरा बन गई।