-भक्तों ने जगह जगह पर सवारी की आरती उतारी
-दक्षिण भारतीय शैली के रंगनाथ मंदिर में मनाया गया उत्सव
हिन्दुस्तान तहलका / शिवांगी चौधरी
मथुरा – माघ शुक्ल की सप्तमी तिथि को भानु सप्तमी या रथ सप्तमी कहा जाता है। इस दिन सूर्य के सातों घोड़े उनके रथ को वहन करते हैं। भानु सप्तमी के अवसर पर दक्षिण भारतीय शैली के रंगनाथ मंदिर में उत्सव मनाया गया। यहां भगवान रंगनाथ को सोने से बने सूर्य वाहन में विराजमान कर भ्रमण कराया गया। इस दौरान भक्तों ने जगह जगह पर सवारी की आरती उतारी।
भानु सप्तमी के दिन भगवान सूर्य का जन्म हुआ था। इस दिन कश्यप ऋषि और अदिति के संयोग से भगवान सूर्य का जन्म हुआ था। इस दिन पूजा और उपवास से आरोग्य और उपवास की प्राप्ति होती है, इसलिए इसे आरोग्य सप्तमी या पुत्र सप्तमी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान सूर्य के सातों घोड़े उनके रथ को वहन करना प्रारंभ करते हैं, इसलिए इसे रथ सप्तमी भी कहते हैं। भानु सप्तमी के अवसर पर मथुरा के वृंदावन में स्थित रंगनाथ मंदिर में उत्सव मनाया गया। यहां भगवान का पहले अभिषेक किया गया। इसके बाद भगवान गोदा रंगमन्नार को सूर्य वाहन पर विराजमान किया गया। यहां सबसे पहले पूजा की गई। इसके बाद सवारी निकाली गई।
जगह-जगह भक्तों ने की आरती
निज मंदिर से शुरू हुई भगवान की सवारी पुष्करिणी द्वार से होते हुए मंदिर की परिक्रमा में पहुंची। चांदी की पालकी पर सूर्य वाहन में विराजमान भगवान की अद्भुत क्षवि देख भक्त आनंद में सराबोर हो गए। भक्तों ने जगह जगह सवारी की आरती की और भगवान को प्रसाद अर्पित किया।भानु सप्तमी के अवसर पर निकाली गई सवारी भ्रमण करते हुए वापस निज मंदिर पहुंची। जहां भगवान को 7 घोड़ों से बने सूर्य वाहन से उतार कर गर्भ गृह में विराजमान किया गया। इस दौरान वेदपाठी विप्र भगवान की सस्वर स्तुति कर रहे थे। कहा जाता है भानु सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की उपासना करने से मनोकामना पूरी होती सात है।
सूर्य प्रभा सवारी का यह है महत्व
कहा जाता है कि भगवान सूर्य ब्रह्मांड में प्रकाश करते हैं लेकिन उनके अंदर प्रभा प्रभु की ही है। क्योंकि नारायण उन सवित्र देव के मध्य विराजमान होकर अपनी शक्ति से सूर्य देव बनाए हैं। इस सवारी में बैठे प्रभु के दर्शन करने से दृष्टि दोष दूर होता है।