हिंदुस्तान तहलका , एजेंसी
Election Commission: एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने नए कानून के तहत केंद्र सरकार को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.अदालत एडीआर की इस याचिका पर 15 मार्च को सुनवाई के लिए सहमत हो गया है. इस मामले पर सुनवाई ऐसे समय पर हो रही है, जब अरुण गोयल ने अचानक ही चुनाव आयुक्त पद से इस्तीफा दे दिया. उनका इस्तीफा ऐसे समय पर आया, जब लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होना है.
वहीं, फरवरी में एक अन्य चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे रिटायर हुए थे. इस तरह तीन सदस्य चुनाव आयोग में सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही बचे हैं. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस हफ्ते एक उच्च-स्तरीय समिति की बैठक होनी है. ये समिति खाली पड़े चुनाव आयुक्त के पदों को लेकर सही उम्मीदवार का चयन करेगी. नए कानून के तहत सेलेक्शन पैनल के सदस्यों में प्रधानमंत्री, एक केंद्रीय मंत्री और विपक्ष के नेता शामिल हैं.
किस बात को लेकर विवाद है?
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल मार्च में एक रिट याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर निर्देश दिया. इसमें कहा गया कि नियुक्तियां प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष या सदन में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की समिति के जरिए सुझाए गए नामों में से ही होगी. नियुक्ति पर आखिरी फैसला देश के राष्ट्रपति को लेना होगा.
हालांकि, फिर सरकार ‘मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम, 2023’ लेकर आ गई. इसके तहत समिति में शामिल मुख्य न्यायाधीश को हटाकर उनकी जगह केंद्रीय मंत्री को शामिल कर दिया गया. सारा विवाद इसी फैसले को लेकर है. विपक्ष समेत कई सारे संगठनों का कहना है कि इसके जरिए सरकार का चुनाव आयोग पर कंट्रोल हो जाएगा, क्योंकि समिति में पीएम और केंद्रीय मंत्री के जरिए उसका बहुमत होगा.