हिंदुस्तान तहलका / विष्णु हरि पाठक
दुनिया में अगर कोई एक ऐसा क्षेत्र है जो सबसे अधिक तेजी से बदल रहा है, तो वह है सैन्य शक्ति। तकनीकी क्रांति, वैश्विक टकराव, और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के इस युग में सेना की ताकत किसी भी देश के लिए निर्णायक फैक्टर बन चुकी है। चाहे वह सीमा विवाद हो, समुद्री नियंत्रण, या अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रभुत्व — आज की दुनिया में हर देश अपनी सुरक्षा व्यवस्था को पहले से अधिक मज़बूत बनाने में जुटा है।\
Global Firepower Index 2025 की ताजा रिपोर्ट आ चुकी है, जिसमें दुनिया के 145 से अधिक देशों की सेनाओं का तुलनात्मक मूल्यांकन किया गया है। इस रिपोर्ट में सैन्य क्षमता का आंकलन केवल सैनिकों की संख्या से नहीं, बल्कि तकनीकी दक्षता, हथियारों की विविधता, रसद, परमाणु क्षमता, वायु और नौसेना शक्ति, रक्षा बजट, भौगोलिक स्थिति और रणनीतिक गठबंधनों के आधार पर किया जाता है।
तो आइए जानते हैं, 2025 में कौन हैं दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाएं, और इस सूची में भारत का स्थान क्या है।
दुनिया की 10 सबसे शक्तिशाली सेनाएं – 2025 की ग्लोबल फायरपावर रिपोर्ट के अनुसार
रैंक | देश | रक्षा बजट (अनुमानित) |
1 अमेरिका | 21.27 लाख | $831 अरब |
2 रूस | 35.70 लाख | $82 अरब |
3 चीन | 31.70 लाख | $290 अरब |
4 भारत | 51.37 लाख | $75 अरब |
5 दक्षिण कोरिया | 38.20 लाख | $50 अरब |
6 यूनाइटेड किंगडम | 11.08 लाख | $55 अरब |
7 फ्रांस | 3.76 लाख | $53 अरब |
8 जापान | 3.28 लाख | $49 अरब |
9 तुर्की | 8.83 लाख | $20 अरब |
10 इटली | 2.89 लाख | $29 अरब |
- अमेरिका (USA) — रैंक 1
दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा बजट ($831 अरब)
अत्याधुनिक हथियार प्रणालियाँ (F-22 Raptor, B-2 Bomber, F-35)
11 एयरक्राफ्ट कैरियर — किसी भी देश से कहीं ज्यादा
वैश्विक सैन्य अड्डे – दुनिया भर में 750 से ज्यादा
न्यूक्लियर ट्रायड क्षमता (जमीन, पानी और हवा से परमाणु हमला)
साइबर वॉरफेयर और स्पेस फोर्स की एडवांस क्षमता
- रूस (Russia) — रैंक 2
दुनिया की सबसे बड़ी टैंक फोर्स
भारी संख्या में सैन्यकर्मी (35.7 लाख)
विशाल परमाणु हथियार भंडार
एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम (S-400, S-500)
यूक्रेन और सीरिया में अनुभव, हाइब्रिड युद्ध क्षमता
- चीन (China) — रैंक 3
दूसरी सबसे बड़ी सैन्य ताकत (31.7 लाख सैनिक)
दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना (370+ युद्धपोत)
तेज़ी से बढ़ता रक्षा बजट ($290 अरब)
स्वदेशी मिसाइल और ड्रोन टेक्नोलॉजी
इंडो-पैसिफिक में आक्रामक रणनीति
- भारत (India) — रैंक 4
सबसे अधिक सैन्यकर्मी (51.37 लाख)
परमाणु शक्ति संपन्न
ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइलें
INS Vikrant जैसे स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर
DRDO, ISRO और HAL के सहयोग से तेज़ आधुनिकीकरण
गहरी रणनीतिक साझेदारी (अमेरिका, फ्रांस, इजराइल, रूस) - दक्षिण कोरिया (South Korea) — रैंक 5
उत्तर कोरिया के खतरे से सतर्क
हाई टेक हथियार और मिसाइल शील्ड
अमेरिका का सैन्य समर्थन
रोबोटिक्स, AI और साइबर डिफेंस में अग्रणी - यूनाइटेड किंगडम (UK) — रैंक 6
न्यूक्लियर पावर
वैश्विक मोर्चों पर ऑपरेशन की क्षमता
आधुनिक फाइटर जेट्स (F-35)
NATO में मजबूत भूमिका - फ्रांस (France) — रैंक 7
राफेल जैसी शक्तिशाली फोर्स मल्टीप्लायर
परमाणु हथियार और न्यूक्लियर सबमरीन
अफ्रीका और मिडल ईस्ट में सैन्य प्रभाव - जापान (Japan) — रैंक 8
हाई टेक्नोलॉजी आधारित सेना
आत्म-रक्षा के लिए शक्तिशाली मैकेनिज्म
चीन के मुकाबले में तेजी से आधुनिकीकरण
अमेरिका के साथ डिफेंस एग्रीमेंट - तुर्की (Turkey) — रैंक 9
मजबूत घरेलू रक्षा उद्योग
Bayraktar TB2 जैसे कामयाब ड्रोन
NATO सदस्य, सीरिया और लीबिया में ऑपरेशन अनुभव - इटली (Italy) — रैंक 10
NATO की महत्वपूर्ण शक्ति
एडवांस्ड फ्रिगेट्स और सबमरीन
यूरोप में प्रमुख सैन्य अड्डे और गठबंधन
अंततः हम यह कह सकते है कि भारत ने यह साबित कर दिया है कि एक लोकतांत्रिक, विकासशील देश भी अपने आत्मनिर्भर रक्षा ढांचे के बल पर दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में शामिल हो सकता है।
आज भारत सिर्फ अपने पड़ोसी देशों के लिए नहीं, बल्कि पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सैन्य संतुलन का प्रमुख स्तंभ बन चुका है।
Make in India Defence, DRDO की सफलता, और विदेशों से मिल रहे सहयोग ने भारत की सैन्य स्थिति को मजबूत किया है।