Saturday, July 27, 2024
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मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स और क्यूएआई की साझेदारी : ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन क्वालिटी एंड पेशेंट सेफ्टी इन स्ट्रोक केयर’ को लेकर मिलाया हाथ

मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स और क्यूएआई की साझेदारी : ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन क्वालिटी एंड पेशेंट सेफ्टी इन स्ट्रोक केयर’ को लेकर मिलाया हाथ

तहलका जज्बा / दीपा राणा

फरीदाबाद। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स और क्वालिटी एवं एक्रिडिटेशन इंस्टीट्यूट (क्यूएआई) ने अहमदाबाद के मैरिंगो सिम्स अस्पताल में अत्याधुनिक ‘सेंटर ऑफ एक्सेलन्स इन क्वॉलिटी’,‘पेशंट सेफ्टी इन स्ट्रोक केयर’ आपसी सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स के मेनेजिंग डायरेक्टर और ग्रुप सीईओ डॉ. राजीव सिंघल और क्वॉलिटी एवं एक्रिडिटेशन इंस्टीट्यूट (क्यूएआई ) के चीफ एक्सिक्यूटिव ऑफिसर डॉ. बी के राणा शामिल रहे। इस साझेदारी का उद्देश्य स्ट्रोक देखभाल इलाज को बढ़ाना है साथ ही अहमदाबाद एवं गुजरात राज्य में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना है।

मैरिंगो सिम्स अस्पताल की साझेदारी क्यूएआई के लिए गर्व है :बीके राणा

क्वालिटी एवं एक्रीडिटेशन इंस्टीट्यूट के चीफ एक्सिक्यूटिव ऑफिसर डॉ. बीके राणा ने यहां बताया कि मुझे मैरिंगो सिम्स अस्पताल में ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन क्वालिटी’, ‘पेशंट सेफ्टी इन स्ट्रोक केयर’ स्थापित करने की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। मल्टीमॉडल स्ट्रेटेजी का उपयोग करके स्ट्रोक देखभाल में गुणवत्ता और मरीज सुरक्षा में सुधार की दिशा में काम करने के लिए मैरिंगो सिम्स अस्पताल के साथ साझेदारी करना क्यूएआई के लिए गर्व का क्षण है। एक्रीडिटेशन बॉडी और हेल्थकेयर सेवा प्रदाता के बीच यह अपनी तरह का अनूठा सहयोग है जो मानक स्थापित करेगा और नॉन-कम्युनिकेबल रोगों पर सरकार की नीति का समर्थन करने के लिए अधिक सहयोग को प्रोत्साहित करेगा। इस पहल का उद्देश्य स्ट्रोक में बेहतर नैदानिक परिणाम प्राप्त करना, केपेसिटी बिल्डिंग एवं सक्षम स्ट्रोक केंद्रों का एक नेटवर्क स्थापित करना है।

न्यूरोलॉजिस्ट के लिए स्ट्रोकोलॉजिस्ट कार्यक्रम शुरू किया: डॉ राजीव

मैनेज़िंग डायरेक्टर और ग्रुप सीईओ मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स डॉ राजीव सिंघल ने यहां बताया कि स्ट्रोक मैनेजमेंट के महत्वपूर्ण क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करना एक समर्पित जिम्मेदारी है। मैरिंगो सिम्स अस्पताल में न्यूरोसाइंसेज में एडवांस उत्कृष्टता केंद्र ने स्ट्रोक मैनेजमेंट में लगातार अद्वितीय मरीज़ देखभाल प्रदान की है। स्ट्रोक देखभाल के सारवार को बढ़ाने के लिए अस्पताल ने गुजरात और उसके बाहर न्यूरोलॉजिस्ट के लिए स्ट्रोकोलॉजिस्ट कार्यक्रम शुरू किया।
इस साझेदारी के माध्यम से हमारा उद्देश्य एडवांस स्ट्रोक केंद्रों और प्रायमरी स्ट्रोक केंद्रों को शामिल करते हुए एक हब एंड स्पोक मॉडल स्थापित करना है। हम ‘स्ट्रोक मरीजों के क्लिनिकल मैनेजमेंट’ में प्रशिक्षण प्रदान करके और ‘मान्यता मानकों’ का अनुपालन सुनिश्चित करके इन केंद्रों में स्ट्रोक टीमों की क्षमता निर्माण में सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। यह सुनिश्चित करता है कि स्ट्रोक के प्रभाव को कम करने के लिए स्ट्रोक से प्रभावित मरीजों को ‘गोल्डन ऑवर’ के भीतर सही उपचार दिया जाए क्योंकि ‘हर जीवन मायने रखता है, हर मिनट मायने रखती है’।
डॉ सिंघल ने कहा कि स्ट्रोक देखभाल के लिए अडवांस्ड उत्कृष्टता केंद्र के रूप में हमारे अस्पताल एक विशेष प्रतिष्ठा के साथ उभरना एक महत्वपूर्ण माइलस्टोन है । पिछले वर्ष 550 से अधिक मरीज़ोमें हमारे इलाज से हमें एक बेंचमार्क हांसिल करने में मदद मिली है। यह मरीजों में विश्वास पैदा करने की दिशा में भी एक कदम है कि हमारी सुविधा स्ट्रोक मेनेजमेन्ट में उच्चतम मानकों को पूरा करती है। यह साझेदारी हमारे अटूट समर्पण, महेनत, इंफ्रास्ट्रक्चर, डॉक्टरों को कठोर प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए विस्तृत ट्रैनिंग प्रोग्राम और गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने के लिए सिंगल-फोकस्ड दृष्टिकोण का एक प्रमाण है।”

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स्ट्रोक से होने वाली मृत्यु का कारण

श्री राणा ने कहा कि स्ट्रोक भारत में होते मृत्यु का दूसरा सबसे आम कारण है। भारत में हर साल लगभग 1,85,000 लोगो को स्ट्रोक आता हैं जिनमें लगभग हर 40 सेकंड में एक व्यक्तिको स्ट्रोक आता है और हर चार मिनट में एक व्यक्ति की स्ट्रोक से मौत होती है। भारत में पिछले दो दशकों के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में स्ट्रोक की घटनाएँ प्रति वर्ष 105 से 152/100,000 व्यक्तियों तक थीं। भारत में युवा लोगों में स्ट्रोक के बढ़ते मामले एक चिंताजनक समस्या है जिसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। जीवनशैली में बदलाव, आनुवंशिक फेक्टर्स और उभरते जोखिम कारक इस सांकेतिक घटना में योगदान करते हैं। आंकड़े बताते हैं कि स्ट्रोक के बाद 10 प्रतिशत मरीज़ लगभग पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। 25 प्रतिशत मरीज़ केवल मामूली क्षति के साथ ठीक हो जाते हैं। 40 प्रतिशत मरीज़ मध्यम से गंभीर मुश्किलों का अनुभव करते हैं जिनके लिए विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। इससे यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि स्ट्रोक और उनके परिणाम के बारे में जागरूकता लोगों तक लगातार पहुंचे।

एमओयू का प्राथमिक लक्ष्य

एमओयू का प्राथमिक लक्ष्य छोटे अस्पतालों को जोड़कर प्रायमरी स्ट्रोक केंद्रों का एक नेटवर्क स्थापित करना है। इस पहल में नर्सिंग होम और क्लीनिकों के साथ साझेदारी कर उन्हें लाभान्वित करना, उन्हें मैरिंगो सिम्स अस्पताल और क्यूएआई से जुड़े प्राइमरी स्ट्रोक देखभाल प्रबंधन के लिए स्थानीय केंद्र के रूप में खुद को स्थापित करने के लिए यह प्रोग्राम में शामिल करना है। हमारा लक्ष्य साथी क्लीनिकों और नर्सिंग होमों में कॉम्प्रिहेंसिव स्ट्रोक प्रोग्राम को जोड़ना है, जिससे वे कम्युनिटी में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें और सभी स्ट्रोक मरीज़ो को समय पर और उचित देखभाल प्रदान कर सकें। यह प्रयास इन स्ट्रोक केंद्रों को स्टैंडर्डाइज़्ड स्ट्रोक देखभाल प्रदान करने के लिए जरुरी जानकारी और कौशल के साथ सशक्त बनाएगा। इस साझेदारी के माध्यम से, हम आसपास के कम्युनिटी अस्पतालों को शामिल करके और उन्हें एमसीआईएमएस और क्यूएआई के सहयोग से एल-1 और एल- 2 स्ट्रोक केंद्रों में विकसित करने के लिए प्रशिक्षण और विशेषज्ञता प्रदान करके अहमदाबाद के निवासियों को उच्चस्तरी स्ट्रोक देखभाल प्रदान करने का इरादा रखते हैं।
यह अनूठी साझेदारी स्ट्रोक देखभाल में समग्र स्वास्थ्य देखभाल इकोसिस्टम को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका लक्ष्य अहमदाबाद में स्थायी प्रभाव डालना है। मैरिंगो सिम्स अस्पताल ने गुजरात के लोगों के लिए पहल में लगातार अग्रणी भूमिका निभाई है, और प्रतिष्ठित संस्थान, क्यूएआई के साथ साझेदारी, अस्पताल की प्राइमरी नैदानिक विशेषज्ञता को बयां करता है। इसका उद्देश्य निदान के समय को कम करने के लिए मैरिंगो सिम्स अस्पताल के सहयोग से प्राथमिक स्ट्रोक केंद्रों का एक नेटवर्क स्थापित करना है, जो इन केंद्रों को स्ट्रोक सॉफ्टवेयर याे I अस्पतालों से जोड़ता है। इस प्रयास में शामिल डॉक्टरों को मैरिंगो सिम्स अस्पताल और क्यूएआई से संयुक्त प्रमाणपत्र प्राप्त होंगे। इसके अतिरिक्त, इस पहल में विभिन्न घटकों को शामिल किया गया है, जिसमें स्ट्रोक कन्टीन्युइंग मेडिकल एड्युकेशन ( सीएमई ) सेशंस, जॉइंट प्रेज़न्टेशन, और विभिन्न मंचों पर कार्यक्रम के प्रभाव का प्रकाशन, और कम्युनिटी कार्यक्रमों के माध्यम से कम्युनिटी जागरूकता बढ़ाना शामिल है।

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