कहा – ‘यह जनता की नहीं, कांग्रेस की राजनीतिक सभा थी’
हिंदुस्तान तहलका / दीपा राणा
फरीदाबाद। अनंगपुर गांव में हाल ही में हुई तोड़फोड़ की घटनाओं के विरोध में रविवार को सूरजकुंड गोल चक्कर के पास हुई महापंचायत अब राजनीतिक घमासान का रूप ले चुकी है। केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने इस पंचायत को कांग्रेस का राजनीतिक मंच बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि इस पंचायत में निष्पक्षता नहीं थी, बल्कि यह पूरी तरह से बीजेपी और सरकार विरोधी लोगों का जमावड़ा था।
लोगों को बरगलाने की कोशिश कर रहा विपक्ष: कृष्णपाल
मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने सवाल उठाते हुए कहा कि यदि पंचायत वास्तव में गांव की भलाई के लिए बुलाई गई थी, तो उसमें सभी पक्षों को बुलाया जाना चाहिए था। इस आयोजन में बीजेपी के किसी भी नेता को आमंत्रित नहीं किया गया। ऐसे में यह पंचायत नहीं, बल्कि राजनीतिक एजेंडा लगती है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मंच का उपयोग केवल बीजेपी को निशाना बनाने और सरकार को बदनाम करने के लिए किया गया। जो लोग सालों तक सत्ता में रहे, उन्होंने गांव के हित में कुछ नहीं किया और अब वही नेता आज लोगों को बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस की कथनी और करनी में बड़ा फर्क है: कृष्णपाल
मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने स्पष्ट रूप से कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पर हमला बोला और कहा कि 1992 में जब इन गांवों पर फॉरेस्ट एक्ट लगाया गया, उस समय केंद्र और राज्य दोनों जगह कांग्रेस की सरकार थी। उन्होंने कहा कि उस समय के सांसद अवतार सिंह भड़ाना और हरियाणा सरकार में मंत्री महेन्द्र प्रताप ने गांव की ज़मीनों को वन विभाग को सौंपने में भूमिका निभाई थी। 2013 में जब वन क्षेत्र को और बढ़ाया गया, तब भी कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन किसी नेता ने गांव के हक में आवाज नहीं उठाई। आज वही लोग जनता के हितैषी बनने का दिखावा कर रहे हैं। कांग्रेस की कथनी और करनी में बड़ा फर्क है।
न्याय की लड़ाई है और बीजेपी पूरी तरह गांव के साथ खड़ी: गुर्जर
गुर्जर ने इस बात पर भी नाराज़गी जताई कि पंचायत के दौरान उनके खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा कि अगर आयोजकों की मंशा सही होती, तो क्षेत्र के निर्वाचित प्रतिनिधियों, बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के नेताओं को भी बुलाया जाता। तब सच सामने आता कि असल में दोषी कौन है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार गांव अनंगपुर के लोगों के साथ मजबूती से खड़ी है। हमने हमेशा लोगों को बसाने का काम किया है, उजाड़ने का नहीं। अगर ज़रूरत पड़ी तो हम गांव वालों के साथ सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। यह न्याय की लड़ाई है और बीजेपी इसमें पूरी तरह साथ खड़ी है, इस पूरी घटनाक्रम ने गांव की स्थानीय समस्या को एक बड़े सियासी विवाद में तब्दील कर दिया है, जहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा टकराव सामने आ गया है। पंचायत के आयोजन, उसमें उठाए गए मुद्दों और अब उस पर आई प्रतिक्रियाओं ने आने वाले दिनों में इस मामले को और गहराने के संकेत दे दिए हैं।