बस स्टैंड, नेशनल हाईवे, गलियां बनी तालाब, यातायात हुआ ठप
तहलका जज्बा / दीपा राणा
फरीदाबाद। शुक्रवार सुबह फरीदाबाद में हुई महज एक घंटे की तेज बारिश ने नगर निगम की तैयारियों की पोल खोल कर रख दी। जहां एक ओर लोगों को सावन की पहली बारिश ने राहत दी, वहीं दूसरी ओर जलभराव ने जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया। बारिश इतनी तेज थी कि शहर की सड़कें तालाबों में बदल गईं। नेशनल हाईवे, सर्विस रोड, मुख्य बाजार और कॉलोनियों में जगह-जगह जलभराव की स्थिति बन गई। सड़कों पर वाहन रेंगते नजर आए और लोग पानी में से पैदल निकलने को मजबूर हो गए। जगह-जगह जाम की स्थिति बन गई। बारिश के बाद फरीदाबाद की स्मार्ट सिटी की असली तस्वीर सामने आ गई।

बल्लभगढ़ बस स्टैंड बना तालाब
बारिश के कारण बल्लभगढ़ का बस स्टैंड पूरी तरह से पानी में डूब गया। हालत इतनी खराब हो गई कि यात्रियों को बैठने की जगह तक नहीं मिली। बस स्टैंड के अंदर मौजूद कई कार्यालयों में भी पानी भर गया। यात्रियों और कर्मचारियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। लोगों का कहना है कि हर बार बारिश में यही हाल होता है, लेकिन कोई स्थाई समाधान नहीं किया जाता।

सब्जी मंडी में घुटनों तक पानी
बल्लभगढ़ की सब्जी मंडी का हाल तो और भी बदतर रहा। वहां कई फीट तक पानी भर गया। मंडी में आने-जाने वाले लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सब्जियों की सप्लाई भी प्रभावित हुई और रेहड़ी-पटरी वाले हाईवे के किनारे दुकानें लगाने को मजबूर हो गए।

शहर के कई इलाके जलमग्न
एनआईटी, सेक्टर-7, सेक्टर-8 सेक्टर-9, सेक्टर-11, सेक्टर-12, सेक्टर-16, सेक्टर-15, ओल्ड फरीदाबाद, बीके चौक, बाटा चौक, नीलम चौक, वाईएमसीए रोड, बल्लभगढ़, डबुआ कॉलोनी और अन्य क्षेत्रों में भी बारिश के बाद पानी भर गया। कई कॉलोनियों में तो गलियों में इतना पानी जमा हो गया कि लोगों को घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया।
निगम की लापरवाही उजागर
स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर निगम हर साल बारिश से पहले नालों की सफाई और जल निकासी का दावा करता है, लेकिन हकीकत बारिश के साथ सामने आ जाती है। हर बार की तरह इस बार भी फरीदाबाद की व्यवस्था एक घंटे की बारिश नहीं झेल सकी।
नतीजा – फिर वही सवाल
बारिश के बाद लोग फिर सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर नगर निगम और प्रशासन कब जागेगा? कब इस शहर को ऐसी बारिश से निपटने के लिए तैयार किया जाएगा? फिलहाल तो लोग इस बारिश को झेलने को मजबूर हैं और हर साल की तरह फिर आश्वासनों के सहारे जी रहे हैं।