नितिन गुप्ता / मुख्य संपादक
हिंदुस्तान तहलका / चंडीगढ़ – हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय (Governor Bandaru Dattatreya) ने गुरुवार को राजभवन में महात्मा ज्योतिबा फुले (Mahatma Jyotiba Phule) को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर नमन किया। श्री दत्तात्रेय ने कहा कि श्री फुले एक प्रमुख समाज सुधारक, विचारक और महान समर्पित कार्यकर्ता थे। उनहोंने जाति व्यवस्था को चुनौती देने, हाशिए पर रहने वाले समुदायों के अधिकारों की वकालत करने, महिला सशक्तिकरण और विशेषकर महिलाओं के साथ-साथ सभी लोगों के लिए शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं: श्री दत्तात्रेय
श्री दत्तात्रेय ने कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले जाति, पंथ या लिंग की परवाह किए बिना सभी मनुष्यों की समानता में दृढ़ता से विश्वास करते थे। वर्ष 1848 में, उन्होंने सत्यशोधक समाज की स्थापना की, जिसका लक्ष्य अनुसूचित जातियों एवं महिलाओं की शिक्षा और उत्थान को बढ़ावा देना था। राज्यपाल ने कहा कि महात्मा फुले ने शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन और सशक्तिकरण की कुंजी माना था। उन्होंने तत्कालीन सामाजिक मानदंडों को तोड़ते हुए अनुसूचित जाति की लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोला। उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं।
शिक्षा पर उनका जोर आज भी प्रासंगिक है: श्री दत्तात्रेय
श्री दत्तात्रेय ने कहा कि भारतीय समाज में ज्योतिबा फुले का योगदान गहरा और स्थायी है। उन्होंने भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन की नींव रखी, कार्यकर्ताओं और नेताओं की पीढ़ियों को समानता और न्याय के लिए संघर्ष जारी रखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि सशक्तिकरण के साधन के रूप में शिक्षा पर उनका जोर आज भी प्रासंगिक है, क्योंकि भारत एक समावेशी और न्यायसंगत समाज बनाने का प्रयास कर रहा है।
उनकी विरासत का स्मरण करते हैं हम: श्री दत्तात्रेय
राज्यपाल हरियाणा ने कहा कि सामाजिक न्याय, समानता और शिक्षा के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता उत्पीड़न और भेदभाव के खिलाफ लड़ने वालों के लिए मार्गदर्शक के रूप में काम करती है। जैसा कि हम उनकी विरासत का स्मरण करते हैं, आइए हम समानता, न्याय और सभी के लिए सम्मान के सिद्धांतों पर आधारित समाज के निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करें।