Thursday, January 30, 2025
No menu items!
spot_img
Homeहरियाणामुख्यमंत्री ने दी सौगात 29 परियोजनाओं का किया उद्घाटन एवं शिलान्यास

मुख्यमंत्री ने दी सौगात 29 परियोजनाओं का किया उद्घाटन एवं शिलान्यास

-29 जनवरी से 2 फरवरी, 2025 तक चलेगा महोत्सव

नितिन गुप्ता, मुख्य संपादक
तहलका जज्बा /  यमुनानगर। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बुधवार को आदि बद्री, यमुनानगर में 31 कुंडीय हवन यज्ञ और मंत्रोच्चारण के बीच अंतरराष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव-2025 का शुभारंभ किया। यह महोत्सव 29 जनवरी से 2 फरवरी, 2025 तक चलेगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विकास कार्यों की सौगात देते हुए 54 करोड़ 71 लाख रुपये की लागत की 29 परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास भी किया। इनमें 26 करोड़ 71 लाख रुपये की लागत की 15 परियोजनाओं के उद्घाटन और लगभग 28 करोड़ रुपये की लागत की 14 परियोजनाओं के शिलान्यास शामिल हैं। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने माँ सरस्वती की चरण वंदना करते हुए कहा कि आज समय, स्थान और अवसर का अद्भुत संगम है। आज मौनी अमावस्या है। महाकुंभ का शाही स्नान है। ऋतुराज वसंत का आगमन भी हो रहा है। इसी मनमोहक वातावरण में मां सरस्वती नदी के उद्गम स्थल आदिबद्री में अंतर्राष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव का शुभारंभ हो रहा है। इस महोत्सव का उद्देश्य पूरे संसार का ध्यान हमारी महान सभ्यता की ओर आकर्षित करना है। इस महोत्सव के माध्यम से हम अपनी संस्कृति, सभ्यता और मूल्यों को भी अगली पीढ़ी तक पहुंचा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि आज ही मां सरस्वती के किनारे पर स्थित दूसरे तीर्थ स्थलों पर भी यह महोत्सव धूमधाम से शुरू हो रहा है। पेहवा तीर्थ सरस और सांस्कृतिक मेले का शुभारंभ हो रहा है। कैथल पोलड़ एवं पिसोल तीर्थ और जींद के हंस डहर तीर्थ में एक फरवरी को सरस्वती महोत्सव के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नदियों को भारतीय संस्कृति में पूजनीय माना जाता रहा है। इन दिनों गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम स्थल प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। यह हमारी सांस्कृतिक विरासत का उत्सव है। कुम्भ केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि वैचारिक समागम व आदान-प्रदान के मंच के रूप में भी महत्व रखता है। उन्होंने कहा कि महाभारत में मिले वर्णन के अनुसार सरस्वती शिवालिक पहाड़ियों से थोड़ा नीचे आदिबद्री से निकलती थी। यह नदी हरियाणा, राजस्थान तथा गुजरात में लगभग 1600 किलोमीटर तक प्रवाहित होते हुए अंत में अरब सागर में मिलती थी। लेकिन आज सरस्वती नदी विलुप्त हो गई है।

सरस्वती को फिर से प्रवाहित करने के हो रहे सार्थक प्रयास
नायब सैनी ने कहा कि सरस्वती नदी की महत्ता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए सरस्वती को नर्मदा और साबरमती के जल के साथ जोड़कर पुनर्जीवित करने के प्रयास किये थे। उसी प्रकार हरियाणा में भी हम नदियों को जोड़कर व सरस्वती सरोवरों और जलाशयों का निर्माण करके सरस्वती को फिर से प्रवाहित करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि आज हरियाणा को विश्वभर में वैदिक संस्कृति के उद्गम स्थल के प्रदेश के नाम से जाना जाता है। सरस्वती नदी के प्रवाह में बताये गये 633 पुरातत्व स्थलों में से 444 तो केवल हरियाणा में ही हैं। सर्वे ऑफ इंडिया और हरियाणा के राजस्व रिकॉर्ड में इस नदी का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है। इसलिए हमने माँ सरस्वती को फिर से धरातल पर लाने का बीड़ा उठाया है। यह परियोजना हमारी सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और पुरातात्विक विरासत को नई पीढ़ियों तक ले जाने में महत्वपूर्ण साबित होगी।

 सरस्वती को धरातल पर लाने की योजना बनाई
नायब सैनी ने कहा कि वर्ष 2014 में जब भाजपा सरकार बनी तो इसके पुनरुद्धार के लिए वर्ष 2015 में हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड की स्थापना की गई। मुख्यमंत्री ने विकास बोर्ड को महत्वपूर्ण कार्य के लिए 75 एजेंसियों के साथ मिलकर सरस्वती नदी पर अनुसंधान का कार्य करने के लिए बधाई दी। वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर यह पुष्टि हुई है कि आदिबद्री एवं घग्गर नदी क्षेत्र में सरस्वती नदी की लुप्त धाराएं अभी भी मौजूद हैं। इसी अनुसंधान के आधार पर सरस्वती को धरातल पर लाने की योजना बनाई है। इस दिशा में कुरुक्षेत्र व यमुनानगर में सरस्वती नदी पर 18 पुलों का निर्माण किया है। नदी के तट पर स्थित 111 विरासत स्थलों का जीर्णोद्धार किया गया है। इनमें मंदिर, घाट आदि शामिल हैं। आदिबद्री में स्थित सरस्वती सरोवर में सोम नदी से पानी लाने के लिए भूमिगत पाइप लाइन बिछाई गई है।

सरस्वती नदी के लिए हिमाचल प्रदेश के साथ समझौता
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार ने सरस्वती नदी में जल का बारहमासी प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए हिमाचल प्रदेश के साथ एक समझौता किया है। इसके तहत सोम नदी पर एक बांध का निर्माण किया जा रहा है। साथ ही, सोम-सरस्वती बैराज और जलाशय का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा, सरस्वती नदी के जलग्रहण क्षेत्र में बारिश के पानी को भी नदी में प्रवाहित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। सरस्वती नदी की पवित्रता की रक्षा करने के लिए यमुनानगर, कुरुक्षेत्र और कैथल में गंदे पानी के उपचार के लिए 25 तरल अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं का निर्माण किया गया है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पौधारोपण भी किया। बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए और मां सरस्वती पर पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। महोत्सव के दौरान कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा, सामाजिक न्याय, अधिकारिता, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं अंत्योदय (सेवा) मंत्री  कृष्ण कुमार बेदी ने भी अपने विचार व्यक्त किये। हरियाणा सरस्वती धरोहर बोर्ड के उपाध्यक्ष धूमन सिंह किरमच ने मुख्यमंत्री सहित अन्य अतिथियों का महोत्सव में पहुंचने पर स्वागत किया और सरस्वती धरोहर बोर्ड द्वारा किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments

Translate »