-मंगल ध्वनि एवं मंत्रोच्चारण के साथ प्रारम्भ होगी शोभायात्रा
तहलका जज्बा / शिवांगी चौधरी
मथुरा। आनन्दकन्द लीला पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण की पुण्य जन्मभूमि पर ताम्रपत्र पर अंकित स्वर्ण- मंडित श्रीमद्भागवत की स्थापना माघ कृष्ण एकादशी तद्नुसार 25 जनवरी को प्रातः कालीन बेला में की जाएगी। इस संबंध में जानकारी देते हुऐ श्रीकृष्ण-जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि सेवानिवृत्त डा.सुब्रह्मण्यम लक्ष्मीनारायणन् एवं उनकी धर्मपत्नी सरस्वती लक्ष्मीनारायण ने अपनी जीवन भर की जमापूंजी से स्वर्ण-मंडित श्रीमद्भागवत की स्थापना का जो संकल्प लिया था वह 25 जनवरी को श्रीकृष्ण-जन्मभूमि पर साकार होगा।
संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने आगे बताया कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पवित्र परिसर में स्थापित श्री भागवत-भवन में महर्षि वेदव्यास जी की प्रतिमा के सम्मुख ऐसी स्वर्ण-मंडित श्रीमद्भागवत जी को शास्त्रीय मर्यादाओं एवं विधि के अनुसार स्थापित किया जायेगा। श्री शर्मा ने बताया कि संत, शास्त्रीय मतानुसार भगवान श्रीकृष्ण के वांग्मय स्वरूप श्रीमद्भागवत का श्रवण, वाचन, दर्शन, चिन्तन, मनन एवं परायण आदि सभी मनोरथ अक्षुण्ण पुण्यप्रद है। इसी भाव से श्रीकृष्ण-जन्मभूमि के पवित्र परिसर में श्री भागवत-भवन की स्थापना की गयी। वर्ष 1982 में श्री भागवत-भवन की प्राण-प्रतिष्ठा के समय ताम्रपत्र पर अंकित संपूर्ण श्रीमद् भागवत, श्री भागवत-भवन के उत्तरी दीवार पर स्थापित की गयीं थीं। आज भागवत-भवन में लगभग 42 वर्ष के उपरान्त स्वर्ण-मंडित श्रीमद्भागवत की स्थापना निश्चित ही श्रद्धालुओं को दिव्य आनन्द और पुण्य की प्राप्ति करायेंगी ।
संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने आगे बताया कि स्वर्ण श्रीमद्भागवत की स्थापना से पूर्व 24 जनवरी 2025 को परम पुनीत विश्राम घाट पर यमुना-भागवत का पूजन होगा। पूजन के उपरान्त मंगल ध्वनि एवं मंत्रोच्चारण से शोभायात्रा प्रारम्भ होगी। शोभायात्रा में भगवान केशवदेव, श्री गणेश एवं महर्षि वेदव्यास की झांकियों के साथ-साथ 1008 सनातनी महिलाएं मंगल कलश लेकर श्रीमद्भागवत की अगुवाई करेंगी। 108 साधु संत उद्दाम संकीर्तन के साथ इस शोभायात्रा की शोभा में वृद्धि करेंगे। दोपहर लगभग 1 बजे श्रीमद्भागवत की शोभायात्रा विश्राम-घाट से प्रारम्भ होगी और लगभग 3 बजे श्रीकृष्ण-जन्मस्थान के पवित्र परिसर में पधारेंगी।
एस.लक्ष्मीनारायण ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण की वांग्मय श्रीमद्भागवत के स्वर्ण-मंडित स्वरूप की स्थापना भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर करने का सौभाग्य भगवान श्री नारायण की कृपा से ही प्राप्त हुआ है। ‘त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये’ भगवान श्रीहरि का दिया हुआ यह जीवन और इस जीवन की समस्त प्राप्तियाँ श्री हरि की ही कृपा मात्र है।
लक्ष्मीनारायणन् ने आगे बताया कि 450 ताम्रपत्रों पर श्रीमद्भागवत के 18000 श्लोकों को उकेरा गया है एवं 18000 श्लोकों को चौबीस कैरेट गोल्ड से मढ़ा गया है। श्रीमद्भागवत का कुल वजन लगभग 151 किलो ग्राम है। लक्ष्मीनारायण ने बताया कि चेन्नई की प्रतिष्ठित गिरि ट्रेडिंग एजेंसी ने ताम्रपत्र पर श्रीमद्भागवत को उकेरा है एवं वुम्मदी बंगारू ज्वैलर्स ने चौबीस कैरेट गोल्ड से 18000 श्लोकों वाले 450 ताम्रपत्रों पर मढ़ा है। संस्थान की प्रबंध समिति के सदस्य गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि स्वर्ण-मंडित श्रीमद्भागवत रात्रि पर्यन्त विश्राम करेंगे, तदोपरान्त श्रीमद्भागवत की स्थापना भागवत–भवन में विराजमान महर्षि वेदव्यास के श्रीविग्रह के समक्ष की जायेगी। श्रीमद्भागवत की स्थापना के उपरान्त ग्यारह भागवत आचार्य द्वारा श्रीमद् भागवत का मूल पाठ का सस्वर गायन स्वर्ण-मंडित श्रीमद्भागवत के समीप आयोजित किया जायेगा। एक दशक ब्राह्मणों के द्वारा किया जा रहा मूल पाठ का विश्राम माघ शुक्ल द्वितीया तदनुसार 31 जनवरी को होगा।
श्रीकृष्ण-जन्मस्थान सेवा-संस्थान ने सभी ब्रजवासियों, भक्तों से अनुरोध किया है कि स्वर्ण- मंडित श्रीमद्भागवत की शोभायात्रा एवं स्थापना के दिव्य कार्यक्रम में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर अक्षुण्ण पुण्य को प्राप्त करें।