हिंदुस्तान तहलका / गीतिका
गुरुग्राम। दरअसल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है पंडित चंद्रशेखर ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विद्या, ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की पूजा का विधान है बसंत पंचमी को बागेश्वरी जंयती और श्री सरस्वती पंचमी के नाम से भी जाना जाता है पंडित चंद्रशेखर ने बताया कि इस दिन मांगलिक कार्य जैसे मुंडन संस्कार, यज्ञोपवीत संस्कार, विद्या आरंभ, रोजगार के लिए न्या कार्य शुरू करना , अन्नप्राशन संस्कार, ग्रह प्रवेश, विवाह आदि शुभ कार्य को इस दिन बेहद ही शुभ माना गया है बसंत पंचमी तिथि 14 फरवरी को दोपहर 12.10 तक है लेकिन 15 फरवरी सुबह 07.01 बजे तक ये मान्य रहेगी। उन्होंने बताया कि हमारे सनातन धर्म में पंचांग के अनुसार ही विवाह आदि शुभ कार्य को तिथि के हिसाब से मान्य किया जाता है ना कि अंग्रेजी तारीख के हिसाब से और तिथि सुर्य उदय से लागू होती है और अगले दिन सुर्य उदय तक मान्य होती है इसलिए अंग्रेजो द्वारा बनाई गई अंग्रेजी तारीख में ना फंसे इस दिन विधार्थियों को सरस्वती देवी की पूजा अर्चना करनी चाहिए जिसका विशेष महत्व है।
बसंत पंचमी पर इन बातों का रखें ध्यान
– इस दिन संभव हो तो पीले वस्त्र पहने क्योंकि ऐसा करना शुभ माना जाता है
– विधार्थियों को सरस्वती पूजा के दिन पुस्तकें कलम, पेंसिल आदि की भी पूजा करनी चाहिए
– बसंत पंचमी के दिन सुबह उठते ही अपनी हथेलियों को जरूर देखें माना जाता है कि मां सरस्वती हमारी हथेलियों में वास करती है
– विद्या आरंभ के लिए बसंत पंचमी का दिन शुभ और श्रेष्ठ रहेगा आप अपने बच्चों को शुभ मुहूर्त पर विद्या आरंभ संस्कार करा सकते है