Saturday, July 27, 2024
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3 साल की बच्ची से दुष्कर्म-हत्या के दोषी को सजा-ए-मौत

 हिंदुस्तान तहलका/ गीतिका

गुरुग्राम – हरियाणा के गुरुग्राम में एक 3 साल की बच्ची की रेप के बाद हत्या कर देने के मामले में कोर्ट ने दोषी को आज फांसी की सजा सुनाई। पॉक्सो जज शशि चौहान कोर्ट ने उस पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। साथ ही सरकार को बच्ची के परिवार के पुनर्वास के लिए 10 लाख रुपए मुआवजा देने के आदेश भी दिए। बताया गया है कि अभियुक्त, जिसे फांसी की सजा हुई है, के खिलाफ इसी तरह के चार मामले दर्ज हैं। इनमें 3 मामले गुरुग्राम में और एक मामला मध्य प्रदेश में दर्ज है। सजा सुनाते हुए इन पर भी गौर किया गया।

बच्ची से रेप व मर्डर की यह घटना नवंबर 2018 की है। तीन बच्चियां अपने घर के बाहर खेल रही थी। तभी पेशे से मजदूर सुनील वहां पहुंचा और बच्चियों को 10 रुपए का लालच देकर अपने साथ चलने को कहा। दो बच्चियां जाने को तैयार नहीं हुई। सुनील 3 साल की एक बच्ची को कुछ खिलाने का लालच देकर अपने साथ ले गया। शाम तक बच्ची जब घर नहीं लौटी तो उसके मां-बाप ने उसकी खोज शुरू की और थाने में शिकायत दर्ज कराई। बच्ची की तलाश चल रही थी। इसी बीच अगले दिन एक मंदिर के सामने बच्ची का शव विकृत हालत में मिला। शव पर कटे के निशान थे। उसके चेहरे एक पॉलीथिन लपेटा हुआ था। सिर को पत्थरों से वार कर बुरी तरह से कुचला गया था। बच्ची के गुप्तांगों में ईंटों के टुकड़े व लकड़ियां ठूंसी गई थी। शव को देखने से ही स्पष्ट था कि बच्ची के साथ बड़ी बर्बरता की गई है।

पुलिस ने बच्ची से रेप और बर्बरता से हुई हत्या के मामले में सुनील को हफ्ते भर बाद गिरफ्तार कर लिया था। उसकी निशानदेही पर वारदात के समय पहने गए उसके कपड़े झांसी से बरामद किए गए थे। घटना के बाद गैर सरकारी संगठन बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए), जिसे एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन के नाम से जाना जाता है, की टीम पीड़िता के घर पहुंची और परिजनों को न्याय दिलाने का भरोसा दिया। बचपन बचाओ आंदोलन के वरिष्ठ वकील विद्या सागर शुक्ला ने कोर्ट में पीड़िता की तरफ से दलीलें पेश की और अभियुक्त के लिए मौत की सजा की मांग की। फैसले पर संतोष जताते हुए विद्या सागर शुक्ला ने कहा, “मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि पीड़िता के परिजनों को न्याय मिला और अपराधी को सजा मिली। यद्यपि पॉक्सो कोर्ट में फैसले के लिए छह साल का समय नहीं लगना चाहिए। यह फैसला एक साल के भीतर ही हो जाना चाहिए था।

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