⇒ रथ खींचने की भक्तों में लगी रही होड़, उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
हिंदुस्तान तहलका / शिवांगी चौधरी
वृंदावन / मथुरा – उत्तर भारत के विशालतम मंदिर रंगनाथ (Ranganath, the largest temple) की मंगलवार को रथ यात्रा निकाली जा रही है। भगवान रंगनाथ (विष्णु जी) माता गोदा ( लक्ष्मी जी) 52 फीट ऊंचे चंदन की लकड़ी से बने रथ में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन दे रहे हैं।
अद्भुत कला से बने इस विशाल रथ को खींचने के लिए सैकड़ों भक्तों ने जोर लगाया। रथ खींचने की भक्तों में होड़ लगी रही। रथ खींच हर कोई सौभाग्य शाली समझने लगा। भगवान रंगनाथ माता गोदा(लक्ष्मी) जी के साथ प्रातः शुभ मुहूर्त में निज मंदिर से सोने से बनी पालकी में विराजमान होकर परंपरागत वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि के बीच सिंह द्वार के समीप स्थापित रथ पर पहुंचे।
यहां भगवान को छह बजे रथ में विधि विधान से पूजा अर्चना के बाद विराजमान किया गया। भगवान को रथ में विराजमान करने के बाद मंदिर के पुरोहित विजय मिश्र ने रथ का पूजन शुरू कराया। वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य हुई इस पूजा में नवग्रह पूजन,सभी देवताओं का पूजन किया गया। इस पूजा में करीब 40 मिनट का समय लगा। इसके बाद रथ यात्रा शुरू होने से पहले रथ के चारों पहियों के नीचे पेठे का फल रखा और उसकी बलि पूजा की गई। बलि के बाद भगवान रंगनाथ की रथ यात्रा शुरू हुई।
भगवान गोदा रंगमन्नार चंदन की लकड़ी से निर्मित विशाल रथ पर विराजमान होकर निकले तो ठाकुरजी के दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु-भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। करीब 15 फुट चौड़े, 20 फुट लंबे और 52 फीट ऊंचे ठाकुरजी के भव्य रथ को खींचकर श्रद्धालु खुद को धन्य मान रहे थे। रथ में विराजमान भगवान रंगनाथ के दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में देश के दूर दराज क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे। ठाकुर रथ यात्रा तीर्थनगरी के प्रमुख मार्गों से गुजरी।
सालभर में एक दिन विराजमान होते हैं भगवान रंगनाथ रथ पर
रंगनाथ मंदिर के पश्चिमी द्वार के पास एक करीब 60 फीट ऊंचा गैराज बना है। इसी गैराज को रथ घर कहा जाता है। यहीं 52 फीट ऊंचा भगवान रंगनाथ का रथ रखा है। इस रथ में ब्रह्मोत्सव के दौरान साल में एक बार भगवान रंगनाथ ( विष्णु जी), माता गोदा ( लक्ष्मी जी) के साथ विराजमान होते हैं। रथ में विराजमान भगवान के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु आते हैं।
ऐसा है रंगनाथ का रथ
भगवान रंगनाथ के जैसा रथ कहा जाता है कि कहीं अन्यत्र किसी देवालय में नहीं है। रथ के आगे लकड़ी से बने सफेद रंग के चार घोड़े लगे होते हैं तो ऊपर हाथों में ध्वज लिए परियां लटकी रहती हैं। रथ पर यश,गंधर्व,सिंह शार्दुल ,द्वारपाल जय विजय विराजमान रहते हैं। रथ के हर हिस्से पर बनी कलाकृति इस तरह नजर आती है जैसे वह सजीव हो। सिंहासन के बाहर दो सिंह की आकृति के दानव रूपी मूर्तियां बनी है। इनके बारे में कहा जाता है कि यह भगवान को लगने वाली नजर से बचाती हैं।
कलश और ध्वज किया स्थापित
रथ यात्रा से पहले सोमवार की देर शाम मुहूर्त के अनुसार 8 बजकर 17 मिनट पर रथ के शीर्ष पर सोने से बना कलश और चांदी से बना छत्र स्थापित किया गया। मंदिर के कर्मचारी रथ के ऊपरी हिस्से में पहुंचे और फिर कलश और ध्वज स्थापित किए गए।
प्रशासन की व्यवस्था
मेले को लेकर वृंदावन में जिला प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए। शहर के सभी चौराहे और खासकर रंगनाथ मंदिर में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया। दूरदराज से आए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने विशाल रथ को खींचा। श्रद्धालुओं ने बताया कि वृंदावन में आयोजित विशाल रंगनाथ मंदिर के रथ मेले में आकर बहुत ही अच्छा लग रहा है। वृंदावन रथ का मेला काफी प्राचीन है। रथ मेले में जिला प्रशासन ने भी अच्छी व्यवस्थाएं की हैं।