नितिन गुप्ता, मुख्य संपादक
तहलका जज्बा / चंडीगढ़। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि इस बार के बजट में भी हरियाणा की झोली और हाथ दोनों ही खाली रह गए। रेज बजट में भी प्रदेश के लोगों के साथ अन्याय किया गया है। सरकार वायदा करके भी एमएसपी की कानूनी गारंटी देने से फिर पीछे हट गई और ऐसा कर उसने किसानों के साथ धोखा किया है। प्रदेश को न ही कोई बड़ा प्रोजेक्ट मिला हे। भाजपा बजट पर स्वयं ही अपनी पीठ थपथपाकर वाह वाही करने में लगी है। महंगाई और बेरोजगारी पर रोक का कोई प्रावधान बजट में नहीं दिखा, यहां तक की गरीबों की भी अनदेखी की गई है।
एमएसपी की कानूनी गारंटी के नाम पर किसानों से किया धोखा : सैलजा
अपने जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा ने गन्ना किसानों के लिए मशीनों में सब्सिडी देने की मांग रखी थी पर बजट में इसे मंजूरी नहीं दी गई, उद्यमी काफी समय से उद्योग के लिए जमीन को लीज पर देने की मांग करते आ रहे है पर इस बजट में उनकी ये उम्मीद भी पूरी नहीं हुई। किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी चाहते थे और ऐसा सरकार ने किसानों से वादा भी किया था पर बजट में इसका भी कोई जिक्र तक नहीं किया गया। बजट में महंगाई और बेरोजगारी जैसे ज्वलंत मुद्दों को भी नजरअंदाज कर दिया गया। बजट में गरीब, किसान और आदिवासी वर्ग की उपेक्षा की गई है। बजट में मनरेगा का जिक्र तक नहीं किया गया। भाजपा सरकार जिन बैसाखी के सहारे चल रही है बजट में उसी पर ध्यान दिया गया। बाकी मुल्क का विकास दांव पर लगा दिया है। हरियाणा के फतेहाबाद जिला के गांव गोरखपुर में परमाणु बिजली संयंत्र का निर्माण बीच में ही लटका हुआ है सरकार ने बजट में इसके लिए धनराशि का प्रावधान तक नहीं किया। गरीबों के आवास पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया।
रेल बजट ने हरियाणा के अरमानों पर फिर फेरा पानी : सैलजा
सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि दिल्ली से हरियाणा के शहरों में रीजनल रैपिड रेल परियोजना (आरआरटीएस) के कई प्रस्ताव पाइप लाइन में थे जिनमें दिल्ली-पानीपत कॉरिडोर, दिल्ली-फरीदाबाद-बल्लभगढ़, दिल्ली बहादुरगढ़-रोहतक की परियोजना शामिल थी। जिन्हें बजट में मंजूरी मिलने की लोग आस लगाए बैठे थे पर बजट में इसका जिक्र तक नहीं किया गया। इसके साथ ही हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर, दिल्ली-पानीपत फास्ट रेल कॉरिडोर, महेंद्रगढ़ (एनसीआर) में मल्टी-लॉजिस्टिक हब जैसी परियोजनाएं भी धरी की धरी रह गई। हरियाणा को इस बार भी कोई बड़ा केंद्र प्रोजेक्ट नहीं मिला, जिससे राज्य की उम्मीदों को झटका लगा है। बजट में प्रदेश की अनदेखी से हरियाणा के राजनीतिक और औद्योगिक क्षेत्र में असंतोष साफ झलक रहा है।