तहलका जज्बा / राकेश वर्मा
नूंह। मिड डे मील वर्कर्स ने न्यूनतम वेतन बढ़ोतरी, पक्की नौकरी, बकाया भुगतान, पेंशन लाभ के लिए नूंह में जोरदार प्रदर्शन किया। 9 जुलाई को स्कूलों में खाना नहीं बनेगा। हड़ताल करके वर्कर प्रदर्शनों में शामिल होंगे। प्रदर्शन को मिड डे मील वर्कर्स यूनियन हरियाणा व सीटू प्रदेश महासचिव जय भगवान, राज्य उपाध्यक्ष सतवीर सिंह ने प्रमुख रूप से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि नूंह में पिछले 5 महीने से वर्कर्स का मानदेय नहीं दिया जा रहा है। वर्दी का पैसा भी स्कूलों में नहीं मिल रहा। मानदेय में कटौती की जा रही हैं। सरकार व प्रशासन मिड डे मील वर्कर्स का शोषण कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुखद है कि महिलाओं के सशक्तिकरण का दावा करने वाली केन्द्र सरकार द्वारा पिछले 11 साल से मिड डे मील वर्कर्स के मानदेय में एक रूपये की भी बढ़ौतरी नहीं की गई। उन्होंने कहा कि लेबर कोड्स के नाम पर मजदूरों कर्मचारियों को गुलाम बनाने की साजिश चल रही है। न्यूनतम वेतन 26000 रुपये की मांग को अनदेखा किया जा रहा है। ठेकेदारी प्रथा के नाम पर अस्थायी श्रमिकों और कच्चे कर्मचारियों को निचोड़ा जा रहा है। इसके खिलाफ 9 जुलाई को होने वाली देशव्यापी हड़ताल ऐतिहासिक रूप से सफल होगी।
सीटू जिला संयोजक अनिल, ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन प्रधान आशा नेता रजनी, क्रेच नेता मिड डे मील नेताओं आबिद, अमरती, सोना, हामिद हुसैन, अनीता ने कहा कि वर्करों से भारी बेगार करवाई जा रही है। तय मानदेय भी कईं-कईं महीनों तक नहीं मिलता। मानदेय भी 10 महीने मिलता है जबकि काम तो करीबन 11 महीने करना पड़ता है। हमें भी शिक्षकों व अन्य स्टाफ की तरह 12 महीने वेतन मिलना चाहिए व यह 26000 रुपये से कम नहीं होना चाहिए। करीब 30 साल से यह योजना जारी है लेकिन जिन वर्करों ने इस योजना में सालों काम किया उन्हें सेवानिवृति के समय एक रुपया तक नहीं मिलता। स्कूल में डयूटी के दौरान भोजन बनाते हुए दुर्घटनाओं में घायल हो जाते हैं, वर्करों की मौत हो जाती है लेकिन किसी प्रकार की आर्थिक मदद का प्रावधान नहीं है। इसलिए 9 जुलाई को जिला की सभी मिड डे मील वर्कर्स हड़ताल में शामिल होंगी।