⇒ महादेव के दर्शन के लिए भक्तों ने किया घंटो किया इंतजार
हिंदुस्तान तहलका / सत्यवीर सिंह
अलीगढ़ – महाशिवरात्रि शिव के विशेष दिनों में शामिल है। मान्यता है कि इस दिन जो भी सच्ची श्रद्धा से शिव का अभिषेक और दर्शन करता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। ऐसे में महादेव के दर्शन करने के लिए भोर से ही शिवालयो में भक्तों का तांता देखने को मिला। अलीगढ़ के प्राचीन खेरेश्वर धाम मंदिर, अचलेश्वर धाम मंदिर और गभाना के भूमिया बाबा मंदिर में शुक्रवार की सुबह से ही भक्तों की लंबी लाइनें लगी रही। हर हर महादेव की गूंज के बीच बाबा के भक्त लाइनों में लगे हुए थे और अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। घंटों की प्रतीक्षा के बाद जब उनका नंबर आया तो उन्होंने बाबा का अभिषेक किया और उन्हें जल चढ़ाकर मनोकामना की।
रात 12 बजे से शुरू हो गया अभिषेक
प्राचीन खेरेश्वर धाम और अचलताल स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर में रात 12 बजे से ही अभिषेक शुरू हो गया। कांवड़ियों ने सबसे पहले 12 बजते ही अभिषेक किया। फिर भक्तों की लाइनें लग गई। वहीं दूसरी ओर सुबह 4 बजे से ही मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन के लिए भक्तों की लाइनें लग गई। खेरेश्वर धाम मंदिर की ख्याति अलीगढ़ के साथ ही आसपास के विभिन्न जिलों में फैली हुई है। यही कारण है कि हर साल विशेष मौके पर अलीगढ़ के साथ ही हाथरस, एटा, बुलंदशहर तक से लोग अलीगढ़ में खेरेश्वर धाम मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। ऐसे में मंदिर प्रबंधन की ओर से महिला एवं पुरुषों के लिए अलग व्यवस्था की जाती है।
जिससे कि भक्त पूरी सुविधा के साथ भोलेनाथ के दर्शन कर सकें। मंदिर प्रबंधन की माने तो सुबह 11 बजे तक एक लाख से ज्यादा भक्त बाबा भोलेनाथ के दर्शन कर चुके हैं। वहीं शाम तक यह आंकड़ा चार लाख तक जाने की संभावना है। व्यवस्था बनाए रखने के लिए वॉलेंटियर भी तैनात किए गए हैं। मंदिर में आने वाले लाखों भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रबंधन की ओर से व्यवस्थाएं की गई हैं। वहीं सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए पुलिस प्रशासन भी पूरी तरह से मुस्तैद है। जगह-जगह पुलिस बल तैनात किया गया है और हर एक व्यक्ति पर नजर रखी जा रही है। इसके साथ ही पुलिस को निर्देश हैं कि संदिग्ध व्यक्तियों को तत्काल हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की जाए।
भगवान कृष्ण और बलराम ने की थी स्थापना
अलीगढ़ शहर से लगभग छह किलोमीटर दूर स्थित खेरेश्वर धाम मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम ने खुद द्वापर काल में इस शिवलिंग की स्थापना की थी और भगवान शिव की पूजा की थी। इसके बाद से ही यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। भगवान कृष्ण और बलराम बुलंदशहर में गंगा स्नान के लिए जा रहे थे। वह रास्ते में यहां रुके थे, उस समय यहां पर कोलासुर नामक राक्षस का आतंक था। जब लोगों ने उन्हें राक्षस के अत्याचार के बारे में बताया, तब बलराम ने अपने हल से उस राक्षस का वध कर दिया था। फिर वह गंगा स्नान के लिए गए थे। लौटने पर उन्होंने टीले पर शिवलिंग की स्थापना की थी और भोलेनाथ की पूजा की थी। यही कारण है कि मंदिर प्रांगण में अंदर बलदाऊ का मंदिर भी स्थापित है।