-हुरियारे सिखा रहे अपने नन्हे हुरियारों को लाठियों से बचने के तरीके
हिन्दुस्तान तहलका / शिवांगी चौधरी
मथुरा – मथुरा के नंदगांव और बरसाना में विश्व प्रसिद्ध लठामार होली की तैयारियां जोरों पर हैं। हुरियारे प्रेमपगी लाठियों से बचने को ढाल और पाग को संभाल रहे हैं तो हुरियारिनें अपनी लाठियों को तेल पिला रही हैं। होली के रसिया, दोहों और पदों को गाकर हुरियारे अनेक तरह से लठामार होली के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। कोई ढालों को सजा रहा है तो कोई नई धोती बगलबंदी तैयार करा रहा है। युवाओं के साथ बुजुर्ग और बच्चों में भी लठामार होली को लेकर उत्साह है। बरसाना की लठामार होली विश्वविख्यात ऐसे ही नहीं है। इसमें हुरियारिनें बिना रुके-थके एक घंटे तक ताबड़तोड़ लट्ठ ढालों के ऊपर बरसाती हैं। उनके लाठी चलाने का अंदाज किसी लठैत से कम नहीं होता। वहीं, नंदगांव के हुरियारे भी अपने नन्हे हुरियारों को लाठियों से बचने के तरीके सिखा रहे हैं।
लठामार होली का दृश्य अद्भुत होता है। अबीर और गुलाल के गुबार के बीच चमड़े के ढाल पर बरसतीं लाठियां, लाठियों से बचाव करते हुरियारे और इन्हें देखने के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम। होली खेलने के लिए जहां लाठियां बरसाने वालीं हुरियारिनों का दक्ष होना जरूरी है, वहींं ढाल पकड़ने वाले हाथ की पकड़ भी मजबूत होनी चाहिए। इसके लिए हुरियारिनें एक महीने पहले से ही सुबह-शाम दूध में बादाम डाल कर तो कभी हलवा बनाकर खा रही हैं। फलों का सेवन करती हैं। इन सभी पौष्टिक आहार को खाने के बाद उन्हें लगातार लाठी चलाने की ताकत मिलती है। बुजुर्ग महिलाएं नववधुओं को लट्ठ चलाने का हुनर सिखा रही है। उत्साह से लबरेज इन महिलाओं का अभ्यास हर दिन चल रहा है।
मेले के लिए 65 करोड़ रुपये का मिला है बजट
राधा कृष्ण के प्रेम अनुराग में रंगी ब्रज की होली की तैयारियां प्रशासनिक स्तर पर भी शुरू हो गई हैं। शासन से बरसाना की होली के प्रांतीय मेले के लिए 65 लाख रुपये का बजट दिया है। इस बजट से बरसाना में होली पर अस्थाई इंतजाम, जैसे साफ-सफाई, सुरक्षा व्यवस्था, लाइटिंग, सजावट व अन्य किए जाएंगे। 17 मार्च को नंदगांव में फाग आमंत्रण उत्सव होगा। इसी दिन बरसाना में लड्डू होली होगी। 18 मार्च को बरसाना में लठामार होली और 19 मार्च को नंदगांव लठामार होली होगी।
बरसाना की होली में लाखों श्रद्धालु होते हैं शामिल
बरसाना व नंदगांव की लठामार होली में देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु आते हैं। एक दिन बरसाना में होली होती है और अगले दिन नंदगांव में। 24 फरवरी 2018 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लठामार होली देखने आए थे, तो उन्होंने बरसाना और नंदगांव को तीर्थ स्थल घोषित किया था। 2019 में लठामार होली को प्रांतीय मेला घोषित किया। इसके चलते इस पर्व/मेले का खर्चा उप्र शासन वहन करता है।
क्या कहती हैं हुरियारिनें
लक्ष्मी देवी ने बताया कि बहुओं को ढाल को निशाना बनाकर लाठी चलाना सिखा रहे हैं। उन्हें यह भी बता रहे हैं कि हमारी लाठी से हुरियारों को किसी भी तरह की चोट न लग पाए, क्योंकि हुरियारे हमारी श्रीजी के प्रिय होते हैं। सरोज देवी ने बताया कि विश्वास नहीं होता कि हम लठामार होली वाले दिन घंटों लाठियां बरसाती हैं। यह सब वृषभानु नंदिनी की कृपा से ही संभव हो पाता है। हम बहुत सौभाग्यशाली हैं कि हमारी ससुराल राधारानी का गांव बरसाना है।
हुरियारिन दे रही खास ड्रेस लंहगा फरिया का ऑर्डर
होली के लिए हुरियारिन खास ड्रेस लंहगा फरिया पहनती हैं। लहंगा फरिया बेचने वाले व्यापारी संजू अग्रवाल ने बताया कि बरसाना में हुरियारिन नए लहंगा फरिया पहनकर ही होली खेलती हैं। उनके यहां कम से कम लहंगा फरिया की कीमत 5 हजार रुपए है। संजू अग्रवाल के पास 31 हुरियारिन के कपड़े तैयार करने का ऑर्डर है। बरसाना स्थित राधा रानी मंदिर के पुजारी किशोरी श्याम गोस्वामी ने बताया कि बगल बंदी पारंपरिक भेष भूषा है। ब्रज में भगवान कृष्ण ने भी जामा और बगल बंदी पहनी थी। इसलिए बगल बंदी पारंपरिक भेष भूषा है। बगल बंदी पहनने में भी आसान है। इसीलिए होली खेलने के लिए नई बगल बंदी बनवाई जाती है।