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Hindustan Tehelka/ Agency
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वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर गठित उच्च स्तरीय समिति ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने 62 राजनीतिक पार्टियों से संपर्क किया, जिनमें से 47 पार्टियों ने अपनी प्रतिक्रिया दी। रिपोर्ट के अनुसार, 32 राजनीतिक पार्टियां एक साथ चुनाव कराने के पक्ष में हैं, वहीं 15 पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं।
कांग्रेस, बसपा, आम आदमी पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) ने वन नेशन, वन इलेक्शन का विरोध किया है। वहीं भाजपा और नेशनल पीपल्स पार्टी ने इसका समर्थन किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन 32 राजनीतिक पार्टियों ने वन नेशन वन इलेक्शन योजना का समर्थन किया है, उनका कहना है कि इससे संसाधन बचेंगे और सामाजिक सद्भाव और आर्थिक विकास की भी सुरक्षा होगी।
राजनीतिक पार्टियों ने विरोध की बताई ये वजह
रिपोर्ट में बताया गया है कि जो पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं, उनका तर्क है कि यह संविधान के आधारभूत ढांचे का उल्लंघन कर सकता है। साथ ही यह अलोकतांत्रिक, गैर-संघीय कदम होगा, जिससे क्षेत्रीय पार्टियों को नुकसान होगा और राष्ट्रीय पार्टियों का प्रभुत्व बढ़ेगा। आप, कांग्रेस और सीपीआई(एम) ने वन नेशन, वन इलेक्शन के विचार को यह कहकर खारिज कर दिया कि यह लोकतंत्र और संविधान को कमजोर करेगा। साथ ही सीपीआई (एमएल) लिब्रेशन, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, राजद, भारतीय समाज पार्टी, गोरखा नेशनल लिबरल फ्रंट, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) ने भी वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध किया है।
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बसपा ने इसका सीधे तौर पर विरोध नहीं किया है, लेकिन इसे लेकर कुछ चिंताएं साझा की हैं और कहा है कि इसे लागू करना भी काफी चुनौतीपूर्ण होगा। समाजवादी पार्टी ने कहा है कि अगर पूरे देश में एक साथ चुनाव होंगे तो उस स्थिति में क्षेत्रीय पार्टियां, चुनाव खर्च और चुनावी रणनीति के मामले में राष्ट्रीय पार्टियों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगी। इनके अलावा एआईयूडीएफ, टीएमसी, एआईएमआईएम, सीपीआई, डीएमके, नगा पीपल्स फ्रंट ने भी वन नेशन- वन इलेक्शन का विरोध किया है।
वन नेशन वन इलेक्शन के समर्थन में हैं ये पार्टियां
भाजपा के अलावा जिन पार्टियों ने वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन किया है, उनमें एआईएडीएमके, ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन, अपना दल (सोनेलाल), असम गण परिषद, बीजू जनता दल, लोजपा (आर), मिजो नेशनल फ्रंट, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, शिवसेना, जनता दल (यूनाइटेड), सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, शिरोमणि अकाली दल, यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल का नाम शामिल है।
इन पार्टियों ने नहीं दी प्रतिक्रिया
भारत राष्ट्र समिति, आईयूएमएल, जम्मू एंड कश्मीर नेशनल कान्फ्रेंस, जेडीएस, झामुमो, केरल कांग्रेस (एम), एनसीपी, राजद, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, तेलुगु देशम पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस ने कोई जवाब नहीं दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2019 में सभी राजनीतिक दलों की एक बैठक हुई थी, जिसमें देश में प्रशासन और चुनाव में बड़े बदलावों पर चर्चा हुई थी। उस समय 19 राजनीतिक पार्टियों में से 16 ने बदलावों का समर्थन किया था और सिर्फ तीन ने ही इस विचार का विरोध किया था।
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