साक्षी महाराज उन्नाव से सांसद बनकर इतिहास रचेंगे
अद्भुत है उन्नाव का जातीय समीकरण
हिंदुस्तान तहलका/नितिन गुप्ता, मुख्य संपादक
हिंदुस्तान तहलका / उन्नाव। लोकसभा चुनाव 2024 के मतदान के दो चरण पूर्ण हो चुके हैं। तीसरे चरण का मतदान 7 मई को होना है। चौथे चरण का मतदान 13 मई को होगा। मतदान के अभी तक दो चरणों में वोटरों का घटता रुझान चिंता का विषय बना हुआ है लेकिन बावजूद इसके सभी दलों की अपनी- अपनी दावेदारी है। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की बड़ी भागीदारी होती है। यूपी में अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे अधिक यानि 80 लोकसभा सीटें हैं। केंन्द्र की सरकार का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही होकर जाता हैं। इसी उत्तर प्रदेश के उन्नाव लोकसभा से भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता साक्षी महाराज को प्रत्याशी बनाया गया है। साक्षी महाराज उन्नाव सांसद बनकर इतिहास रचेंगे। साक्षी महाराज फिर से जीत का साक्षी बनेंगे।
साक्षी महाराज की पृष्ठभूमि
यूपी की कुल लोकसभा 80 सीटों में से उन्नाव सीट की कमान स्वामी सच्चिदानंद साक्षी महाराज के हाथ में हैं। स्वामी सच्चिदानंद हरि साक्षी महाराज का जन्म 12 जनवरी 1956, में हुआ था। साक्षी महाराज भाजपा से संबंधित एक भारतीय राजनीतिक और धार्मिक नेता हैं। साक्षी महाराज का जन्म यूपी के कासगंज जिले के साक्षी धाम में हुआ था। उनके पिता आत्मानंद जी महाराज प्रेमी और माता मदालसा देवी लोधी थीं। साक्षी लोध समुदाय से हैं जिसे उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया गया है। साक्षी महाराज के पास निर्मल पंचायती अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर की उपाधि है। वह साक्षी महाराज समूह के निदेशक भी हैं जिसके भारत में 17 शैक्षणिक संस्थान और कई आश्रम हैं।
साक्षी महाराज का राजनीतिक सफर
साक्षी महाराज वर्ष 1991 में मथुरा लोकसभा के लिए चुने गए, 1996 और 1998 में फर्रुखाबाद से सांसद बने। वर्ष 1999 के आम चुनाव में भाजपा द्वारा फर्रुखाबाद से टिकट नहीं दिए जाने के बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी के लिए प्रचार किया। चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद मुलायम सिंह ने उन्हें औपचारिक रूप से समाजवादी पार्टी में शामिल कर लिया। अटल बिहारी वाजपेई के आदेश पर उनका टिकट काट दिया गया था। उस समय साक्षी वाजपेयी के करीबी सहयोगी ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में आरोपी थे। 2000 में मुलायम सिंह यादव ने उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया। भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित होने से पहले साक्षी महाराज 2000 से 2006 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे। वर्ष 2014 चुनाव में उन्नाव उत्तर प्रदेश से जीत हासिल की। 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचार करते हुए उन्होंने कहा था कि उन्हें लगता है कि यह देश का आखिरी चुनाव है। जनवरी 2002 में उन्होंने समाजवादी पार्टी की आलोचना करते हुए उस पर तानाशाही, भाई-भतीजावाद, जातिवाद और पूंजीवाद का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वह समाजवादी पार्टी में बने रहेंगे लेकिन भाजपा उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे।
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साक्षी महाराज पर विवादों के लगते रहे आरोप
साक्षी महाराज राम जन्मभूमि आंदोलन में शामिल थे और बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के एक आरोपी के रूप में उनपर मुकदमा चल रहा है। अगस्त 2000 में, इटा के एक कॉलेज के प्राचार्य ने साक्षी और उनके दो भतीजों, पदम सिंह और शिवराम राम पर सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ़ शिकायत दर्ज की। पर्याप्त सबूत न होने के कारण उन्हें बरी कर दिया गया। दिसंबर 2005 में कुछ सांसदों को एमपीएलएडीएस फंड का दुरुपयोग करते हुए एक रिपोर्ट जारी की साक्षी महाराज उन अभियुक्तों में से थे। 2012 में पुलिस ने साक्षी और उनके सहयोगियों को 47 वर्षीय सुजाता वर्मा की हत्या के लिए गिरफ्तार किया, जिसकी एटा में साक्षी के आश्रम से लौटते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 2018 में श्मशान भूमि से जुड़े भूमि विवाद मामले में भाजपा सांसद साक्षी महाराज के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था।
बॉक्स के लिए :
1991 उन्होंने मथुरा से संसदीय चुनाव सफलतापूर्वक लड़ा और जद बी के लक्ष्मी नारायण चौधरी को 15512 मतों के अंतर से हराया।
1996 उन्हें फ़र्रुख़ाबाद से दूसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुना गया जहाँ उन्होंने सपा के अनवर मोहम्मद खान को 84,978 मतों के अंतर से हराया।
1998 उन्होंने फर्रुखाबाद सीट के लिए सपा के अरविंद प्रताप सिंह को 32,211 मतों से हराया।
1999 उन्होंने संसदीय चुनाव में सपा के टिकट से चुनाव लड़ने के लिए भाजपा छोड़ दी, लेकिन हार का सामना करना पड़ा।
2000 में राज्यसभा सांसद चुने गए।
2014 में भाजपा से लोकसभा सांसद बने।
2019 में उन्नाव से रिकॉर्ड मतों से लोकसभा चुनाव जीता।
उन्नाव लोकसभा का जातीय समीकरण इतिहास
उन्नाव लोकसभा सीट में यहां के दलित, सवर्ण और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में होते हैं। लगभग 21 लाख मतदाताओं वाली इस लोकसभा सीट में 13.63 लाख वोट दलित, सवर्ण और अल्पसंख्यक जाति से आते हैं। यही मतदाता इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाते हुए विजेता का निर्णय करते हैं। इस सीट पर सत्ता पक्ष यानी भाजपा प्रत्याशी साक्षी महाराज चुनावी मैदान में हैं। बिना जातीय समीकरण को संभाले उन्नाव जैसी महत्वपूर्ण लोकसभा सीट को जीतना असंभव है।