हिंदुस्तान तहलका / नसीम खान
तावडू – मौसम की हल-चल से किसानों में भय का खौफ बना हुआ है। याफिर यूं कहें कि पिछले वर्ष हुई ओलावृष्टि से किसानो की सभी फैसले खराब हो गई थी। और किसानों को भारी भरकम नुकसान झेलना पड़ा था। ओलावृष्टि के गिरने से खेतों में सफेद चादर बीछ गई थी।
उसी को लेकर किसानों का कहना है कि सर्दी जाने का नाम नहीं ले रही और गर्मी आने का नाम नहीं ले रही और बीच में बरसात टांग फंसाने को तैयार है। उनका कहना है कि किसानों को समझ में नहीं आ रहा की यह मौसम कौन सा है। सर्दी का या फिर गर्मी का। उनका कहना है कि सरसों की फसल बिल्कुल पक चुकी है और कई जगह पर कट भी गई है। कहीं पर सरसों की कटाई बाकी है तो वहीं गेहूं की फसल अभी सुचारू रूप से पक्की भी नहीं है।
उससे पहले ही तेज हवा और ओलावृष्टि का डर सताने लगा है। पिछले कई दिनों से तेज हवा चल रही है कई जगह पर तो गेहूं खेतो में लौट चुके हैं। गत शनिवार को हुई हरियाणा के कई जिलों में भारी ओलावृष्टि से किसानो की नींद उड़ी हुई है। किसानों का कहना है कि यदि यहां पर भी ओलावृष्टि होती है तो सभी फसल खराब हो सकती है और किस को भारी नुकसान हो सकता है।