महेंद्र के प्रताप वाला ‘पंजा’ या खिलेगा कृष्ण का भगवा ‘ कमल ‘
फरीदाबाद का महा मुकाबला, दो गुर्जर- दो जाट – एक ठाकुर प्रत्याशी
नितिन गुप्ता, मुख्य संपादक
तहलका जज्बा/ फरीदाबाद । मुकाबला वही कहलाता है जिसमें प्रतिद्वंदी बराबर के होते हैं। फरीदाबाद के चुनावी मैदान में 23 साल बाद कांग्रेस से महेंद्र प्रताप सिंह और भाजपा के कृष्ण पाल गुर्जर एकबार फिर से आमने सामने हैं। 2005 में विधान सभा चुनाव में महेंद्र प्रताप कृष्णपाल को पटकनी दे चुके हैं। लेकिन इसबार बड़ी पंचायत यानी लोकसभा चुनाव -2024 में दोनों दिग्गज फिर से आमने -सामने हैं। फरीदाबाद का बाहुबली मुकाबला बनने की राह पर क्या महेंद्र अपने प्रताप से ‘पंजे’ को मजबूत कर पाएंगे या फिर कृष्ण पाल ‘कमल’ खिलाकर अपनी हैट्रिक लगाने में सफल होंगे। दोनों धुरंधरों के मैदान में आने से राजनीतिक पारा चढ़ गया है। चुनावी सरगर्मी तेज हो गई हैं। सैनिक कॉलोनी आवास पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। फरीदाबाद की अब तस्वीर स्पष्ट हुई है जिसमें दो गुर्जर कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी, दो जाट जजपा से नलिन हुड्डा, इनैलो से सुनील तेवतिया और एक ठाकुर किशन ठाकुर बसपा प्रत्याशी चुनावी मैदान में लड़ेंगे सांसद बनने की लड़ाई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करने की दौर में है। वहीं, विपक्षी पार्टियां भी उलटफेर करने के लिए रणनीति बनाने में जुटी हैं। हरियाणा राज्य की बात करें तो यहां कुल 10 लोकसभा सीटें हैं। इनमें से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र जिसके अंतर्गत पलवल जिले की तीन विधानसभा और फरीदाबाद की छह विधानसभा – पृथला, फरीदाबाद एनआईटी, बड़खल, बल्लभगढ़, फरीदाबाद और तिगांव आती हैं
इस सीट पर जातियों के समीकरण। इस बार लोकसभा क्षेत्र में कुछ ऐसा है जातिगत आंकड़ा। लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा : तिगांव, फरीदाबाद, बल्लभगढ़, पृथला, बड़खल, एनआईटी, पलवल, होडल व हथीन शामिल हैं। फरीदाबाद लोकसभा- 2024 में कुल मतदाता संख्या 23.56 लाख है :
जातीय समीकरण इस प्रकार हैजाट : 3.71 लाख
गुर्जर : 3.54 लाख
एस.सी. : 3.51 लाख
ब्राह्मण : 2.50 लाख
मुस्लिम : 2.41 लाख
पंजाबी : 1.42 लाख
वैश्य : 1.55 लाख
राजपूत : 1.34 लाख
अन्य पिछड़ा : 3.51 लाख
कुल संख्या : 23.56 लाख
फरीदाबाद सीट का चुनावी इतिहास
साल 1947 में देश के आजाद होने के बाद 1951 में पहली बार लोकसभा चुनाव कराए गए। इसके बाद 1957 में दूसरी और 1962 में तीसरी बार लोकसभा के चुनाव हुए। इस दौरान हरियाणा अलग राज्य नहीं बना था, वह पंजाब का ही एक हिस्सा था। 1 नवंबर 1966 को हरियाणा को अलग राज्य बनाया गया और उसके बाद 1967 में हुए चौथी लोकसभा चुनाव के दौरान हरियाणा की लोकसभा सीटों के लिए मतदान किया गया। उस दौरान हरियाणा में 9 लोकसभा सीटें थीं, जिनमें अंबाला, करनाल, कैथल, रोहतक, झज्जर, गुड़गांव, महेंद्रगढ़, हिसार और सिरसा शामिल था। वर्ष 1976 में प्रदेश में एक बार फिर लोकसभा क्षेत्रों में बदलाव किया गया। लोकसभा सीटों की संख्या को बढ़ाकर 10 कर दी गई और फरीदाबाद को अलग लोकसभा सीट घोषित कर दिया गया। साल 1977 में हुए छठे लोकसभा चुनावों में फरीदाबाद लोकसभा सीट के लिए पहली बार मतदान किया गया और धर्मवीर वशिष्ठ फरीदाबाद लोकसभा सीट से सबसे पहले सांसद बने।
क्या रहे पिछले चुनाव के नतीजे ?
वर्तमान में फरीदाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी के कृष्णपाल गुर्जर सांसद हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में फरीदाबाद से बीजेपी के कृष्णपाल गुर्जर ने एक बार फिर जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार अवतार भड़ाना को 6,38,239 वोटों से शिकस्त दी। कृष्णपाल गुर्जर को 9,13,222 वोट मिले थे, जबकि अवतार भड़ाना को 2,74, 983 वोट पड़े थे। कृष्णपाल गुर्जर 2014 लोकसभा चुनाव के जीत का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 4,66,873 वोटों से विजयी रहे थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अवतार सिंह भड़ाना को करीब 1.85 लाख वोटों से हराया था। फरीदाबाद सीट से कांग्रेस छह, बीजेपी पांच और एक बार भारतीय लोक पार्टी चुनाव जीत चुकी है।
दो गुर्जर- दो जाट -एक ठाकुर प्रत्याशी
कांग्रेस ने फरीदाबाद से महेंद्र प्रताप पर दाव खेला है। महेंद्र प्रताप ने सरपंच से राजनीति की शुरुआत की थी। 1977 से 2014 तक के सभी नौ विधानसभा चुनाव लड़े, जिसमें उन्होंने पांच बार जीत हासिल की, तो वहीं 2005 में विधानसभा चुनाव में महेंद्र प्रताप सिंह के नाम हरियाणा में सबसे ज्यादा वोट मिलने का रिकॉर्ड दर्ज है। महेंद्र प्रताप के सामने भाजपा उम्मीदवार कृष्णपाल गुर्जर, इनेलो से सुनील तेवतिया और जेजेपी से नलिन हुड्डा चुनावी मैदान में है। लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने गुरुवार देर रात हरियाणा में अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। गुरुग्राम को छोड़कर बाकी आठ सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए। फरीदाबाद लोकसभा सीट के लिए पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ नेता महेंद्र प्रताप को पार्टी ने टिकट दिया है। दोनों नेता विधानसभा के चुनावों में एक दूसरे का मुकाबला कर चुके हैं। दोनों एक दूसरे को चुनाव में हरा चुके हैं। लेकिन यह पहली बार है, जब दोनों लोकसभा चुनाव में आमने सामने हैं। सियासत के लिहाज से दोनों ही वरिष्ठ नेता हैं। हालांकि कृष्णपाल गुर्जर दो बार से लगातार सांसद चुने जा रहे हैं। वहीं महेंद्र प्रताप सिंह पहलीबार लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। दिग्गज गुर्जर नेताओं के चलते मुकाबला रोचक होगा। इसके अलावा नलिन हुड्डा , सुनील तेवतिया दो जाट प्रत्याशी हैं। वहीं बहुजन समाज पार्टी ने ठाकुर बिरादरी से किशन ठाकुर को प्रत्याशी बनाया है।
पांच बार विधायक रहे महेंद्र प्रताप का जीवनवृत पर एक नजर
नाम: महेंद्र प्रताप सिंह, जन्म-गांव नवादा कोह फरीदाबाद
शिक्षा-नेहरू कॉलेज से स्नातक
1966 में पहली बार गांव के सरपंच चुने गए
1972 में ब्लॉक पंचायत समिति के अध्यक्ष चुने गए
1982 में पहली बार विधायक चुने गए
मेवला महाराजपुर विधानसभा से 1987 में दूसरी बार विधायक चुने गए
मेवला महाराजपुर विधानसभा और विधानसभा कांग्रेस विधायक दल के नेता रहे
1991 में तीसरी बार लगातार विधायक चुने गए और हरियाणा सरकार में पहली बार कैबिनेट मंत्री बने
2005 में चौथी बार मेवला महाराजपुर से विधायक चुने गए
2009 में पांचवी बार बड़खल विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए और हरियाणा सरकार में दूसरी बार कैबिनेट मंत्री बने
2014 से 2024 तक सक्रिय राजनीति से दूर रहे पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह
फरीदाबाद लोकसभा सीट पर अब तक मुख्य रूप से कांग्रेस और भाजपा का ही दबदबा रहा है। यहां क्षेत्रीय पार्टियों की दाल कभी नहीं गली। अब तक यहां छह बार कांग्रेस और चार बार भाजपा का प्रत्याशी चुनाव जीता है। जबकि एक बार भारतीय लोक पार्टी के उम्मीदवार धर्मवीर वशिष्ठ चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे।
फरीदाबाद लोकसभा सीट से अब तक जीते उम्मीदवार साल उम्मीदवार पार्टी
1977 धर्मवीर वशिष्ठ भारतीय लोक पार्टी
1980 तैय्यब हुसैन कांग्रेस
1984 रहीम खान कांग्रेस
1989 भजन लाल कांग्रेस
1991 अवतार भड़ाना कांग्रेस
1996 रामचंद्र बैंदा भाजपा
1998 रामचंद्र बैंदा भाजपा
1999 रामचंद्र बैंदा भाजपा
2004 अवतार भड़ाना कांग्रेस
2009 अवतार भड़ाना कांग्रेस
2014 कृष्णपाल गुर्जर भाजपा
2019 कृष्णपाल गुर्जर भाजपा
फरीदाबाद : टीम मोदी में शामिल गुर्जर पर हाईकमान ने जताया भरोसा
भाजपा ने हरियाणा में जिन पुराने चेहरों पर दांव लगाया है, उनमें फरीदाबाद के वर्तमान सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर भी शामिल हैं। उनके पीएम मोदी और अन्य केंद्रीय नेताओं से अच्छे संबंध हैं। उन्होंने 2014 और 2019 में अच्छे मतों से जीत हासिल की थी। केंद्र की राजनीति के अलावा प्रदेश संगठन के कामकाज अच्छा अनुभव है। वह हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
मजबूत पक्ष
कृष्णपाल गुर्जर ने बीते दोनों लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की है। पहली बार उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी को चार लाख 66 हजार वोटों से हराया। दूसरी बार करीब साढ़े छह लाख वोटों से जीत हासिल की। वह दोनों बार मोदी सरकार में मंत्री रहे हैं। सभी ने मिलजुलकर रहने वाले जमीनी नेता होने की वजह से इलाके में अच्छी पकड़ है।
चुनौतियां
टिकट मिलने के बाद ही एक-दो इलाकों में उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं। इसके साथ ही उन्हें सत्ता विरोधी भावनाओं से भी पार पाना होगा। हरियाणा में भी चुनाव में जातिगत आंकड़ा काफी मायने रखता है। फरीदाबाद में भ्रष्टाचार का चक्रव्यूह एक साफ छवि वाला दबंग “जाट या गुर्जर” नेता ही तोड़ सकता है।