हिंदुस्तान तहलका / नसीम खान
तावडू – शहर व क्षेत्र में बेखौफ होकर दौड़ रही ओवरलोड निजी बसें स्थानीय प्रशासन को जानकारी होने के बावजूद भी बस चालकों व मालिकों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। बसों में क्षमता से अधिक यात्रियों को जानवरों की तरह ठूंस ठूंस कर भरते हैं। वहीं इन बसों में तीन गुना ज्यादा यात्रियों को भरते हैं। वहीं 50 से अधिक यात्री बस की छत पर बैठकर आए दिन सफर करने पर मजबूर है।इन बसों में जहां दो यात्रियों की सीट होती है उन सीटों पर तीन यात्रियों को बैठाते हैं और तीन यात्रियों की सीट पर चार यात्रियों को बैठाते हैं।
बस के दोनों दरवाजों से यात्री बाहर लटक कर सफर करते नजर आते हैं। इस बीच महिला यात्रियों की सुरक्षा को लेकर भी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। कई बार तो महिला यात्रियों के साथ छेडखानी भी हो जाती है। लेकिन मजबूर महिला यात्री किसी को कुछ नहीं बता पाती है कई बार तो परिचालक द्वारा यात्रियों के साथ अभद्रता करते भी देखा जा चुका है। लेकिन यात्रियों की मजबूरी है इन बसों में सफर करना। बसों में न तो चालक व परिचालक के पास अपनी यूनिफॉर्म है और नहीं यह जूते पहन कर ड्राइविंग करते हैं। इसी के साथ-साथ इन बसों में बचाव के भी उपकरण मौजूद नहीं है।
बस में लबालब से भरे यात्रियों को बीच में चीरते हुए परिचालक जब किराया वसूलता है, तो खुद परिचालक को भी भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है। बस चालकों की लापरवाही के चलते इससे पूर्व में भी कई बड़े हाथ से हो चुके इस बात से साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्षेत्र से गुजर रही बसें ओवर स्पीड क्षमता से अधिक सवारियां और ऊपर बसों की छतों पर यात्रियों को बैठा कर चल रही हैं। यह सब संबंधित विभाग की मिली भगत के चलते ही चल सकती हैं। इस बारे में कई बार अधिकारियों को भी अवगत कराया जा चुका है लेकिन फिर भी इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।